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संसार है एक रंगमंच - प्रदीप छाजेड़ ,बोरावड


 संसार है एक रंगमंच

इंसान का जीवन हक़ीक़त में एक रंग मंच जैसा ही होता है।जन्म से लेकर मृत्यु तक मानव को तरह-तरह के रोल निभाने पड़ते हैं ।यह रंग मंच एक बच्चे से शुरू होता है और दादा-नाना बनने के बाद सदा-सदा के लिये समाप्त हो जाता है।एक बच्चे से शुरू हुआ जीवन दादा-नाना बनने तक के सफ़र में जीवन के हर रोल को बख़ूबी निभाने वाला इंसान एक श्रेष्ट कलाकार कहलाता है।

यह कोई नहीं बता सकता कि उसकि आख़िरी साँस कौन सी होगी।हर व्यक्ति यही सोचता है कि अभी मेरे जाने का समय आया नहीं है जबकि यह मिथ्या है। वर्तमान समय भौतिक्ता वाला है।इस चकाचौंध भरी दुनियाँ में दौलत के पीछे इंसान इस क़दर पागल हो गया कि वो धन प्राप्त करने के चक्कर में अपना सुख-चैन खो रहा है। उसको ना जीवन में शांति है,ना पर्याप्त नींद है,ना परिवार के लिये समय आदि - आदि है और जिस शरीर से वह काम ले रहा है उसको स्वस्थ रखने के लिये भी समय नहीं है। हमको जीवन में असली सुख की परिभाष देखनी है तो हम्हें देखना चाहिये हमारे पूर्वजों का जीवन।उनका जीवन सादा,सरल, सच्चा और संतोषी आदि था। वह बड़ा परिवार होने के बावजूद भी वो अपना जीवन शांति से बिताते थे। इंसान अपनी ख्वाहिशें सीमित कर दे तो जीवन में अपने आप शांति आ जायेगी क्योंकि जो कमाया वो साथ जायेगा नहीं,आप उसे पूरा खर्च भी नहीं कर पाओगे और कौन सी साँस आख़िरी होगी वो भी हम नहीं जानते हैं तो फिर हम अपने जीवन में समता धार ले तो अपने आप हमारे जीवन में शांति आ जायेगी। इसका एक स्पष्ट गूढ़ तात्पर्य है अपना यहाँ कुछ भी स्थायी नहीं है। हमें तो केवल कर्मानुसार अपनी अदाकारी निभानी है इसीलिए तो एक और बात कही जाती है कि खाली हाथ आते हैं, खाली हाथ जाते हैं। अतः इस मर्म को समझकर जो जीता है वही सबसे सुखी होता है।

 - प्रदीप छाजेड़ 

( बोरावड )

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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