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हम स्त्रियों के प्रति अभी भी संवेदनशील नहीं हैं - फ़ारुख़ आफ़रीदी


हम स्त्रियों के प्रति अभी भी संवेदनशील नहीं हैं - फ़ारुख़ आफ़रीदी 

भोपाल । अंतर्राष्ट्रीय विश्वमैत्री मंच का एक अभिनव आयोजन, कहानी संवाद ‘दो कहानी- दो समीक्षक’ 16 मार्च ‘ 2025, रविवार को शाम गूगल मीट पर आयोजित किया गया। 

इस अवसर अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार फ़ारुख़ आफ़रीदी ने दोनों कहानियों पर समीक्षा करते हुए कहा कि “महिलाओं में करुणा का भाव बहुत गहरा होता है। हम महिलाओं के प्रति अभी भी संवेदनशील नहीं हैं। सामाजिकता इस बात की माँग करती है कि हम दिव्यांगों के प्रति भी आदर और समानता का भाव रखें।” 

डॉ सविता चड्ढा जी सभा में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थीं। आपने अपने सम्बोधन में उमंग सरीन की कहानी ‘युद्ध अपना अपना‘, पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि ये बात सही है कि - “दुःख कितना भी बड़ा हो पेट की आग के सामने छोटा हो जाता है। आपने कहानी के पात्रों का समाज पर क्या प्रभाव पड़ेगा? इस पर अपने विचार व्यक्त किये। आपकी दिव्य दृष्टि ने कथा के अंदर निहित अंतर्कथा पर विस्तार से प्रकाश डाला।”

संस्था की मंत्री जया केतकी शर्मा ने कहा कि- “कहानी हिन्दी साहित्य की सबसे सशक्त विधा है। कहानी का निरंतर विकास हो रहा है। माधव राव सप्रे की ‘एक टोकरी मिट्टी’ से प्रारम्भ हुआ इसका सफर आज भी अपने शिल्प के साथ उपस्थित है।”

उमंग सरीन का कथा वाचन बहुत ही सुन्दर था। आपने तो शब्दों के माध्यम से एक सजीव चित्रण प्रस्तुत किया था। सुषमा व्यास राजनिधि की कहानी “बनारस की डोम रानी” का कथ्य अलग ही कलेवर लिए हुआ था। बिलकुल अद्भुत।

अंतर्राष्ट्रीय विश्वमैत्री मंच की संस्थापक अध्यक्ष संतोष श्रीवास्तव ने कहानीकारों को अपनी शुभकामनाएं प्रेषित कीं।  

मध्य प्रदेश विश्व मैत्री मंच की नव निर्वाचित अध्यक्ष शेफालिका श्रीवास्तव ने सभी का स्वागत किया। संचालन की ज़िम्मेदारी संस्था के महासचिव मुज़फ्फर सिद्दीकी ने निभाई।


- मुज़फ़्फ़र सिद्दीक़ी

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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