काव्य :
अंतराष्ट्रीय महिला दिवसपर,
नारी से ही है सृष्टि....
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इंजिनियर अरुण कुमार जैन
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अभिनन्दन नारी शक्ति का बहुत आज है,
महिला दिवस कहता, जिनपर सदा ताज है.
माँ स्वरुप में प्रभु से बढकर, यह है नारी,
नौ माह संरक्षण, पोषण देती मतिहारी.
पल, पल दुःख, वेदना, पीड़ा सह लेती है,
फिर प्यारे शिशु को नव जीवन देती है,
जब तक अबोध है या सबोध, माँ चिंता करती.
जीवन की अंतिम साँसो तक, उसकी सेवा करती.
बहिन, बुआ, दादी, चाची या है भाभी,
प्रेम, नेह, अपनत्व भाव नित देने वाली.
मित्र, प्रेयसी, पत्नी भी नारी बनती है,
हरेक छवि में नर की सेवा ये करती है.
शिक्षक और चिकित्सक भी बनती यह नारी,
पथ दर्शाती, स्वस्थ्य देह को देने वाली.
राजनीति व धर्म क्षेत्र में भी नारी है,
वन्दनीय व पूज्यनीय 'अम्मा'
प्यारी है.
बेटी प्यारी सारे घर को जीवन देती,
प्रेम, नेह, ममता के बरसाती
पल पल मोती.
मात्र आज ही नहीं, सभी दिन हैं नारी के,
माँ, बहिना, बेटी, पत्नी व दादी के.
करते वंदन व अभिनन्दन, हम सब उनको,
जबतक सृष्टि रहे, रहें नेह की सरिता बनके.
नारी से ही सृष्टि व जग में जीवन है,
तन, मन, धन से नारी का शत शत वंदन है.
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