काव्य :
नारी
हो नारी पूज्य ,यों काम करो तुम
(आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर)
संसार का सार तुम
जग का आधार तुम
मनुज की शक्ति हो
करुणा व प्यार तुम
आँगन की तुलसी तुम
चौखट व घर बार तुम
संध्या का दीपक हो
पूजा और त्यौहार तुम
माँ ,भाभी,बहन तुम
दुःख, दर्द सहन तुम
समाज का पाप ढोती
कहलाती बदचलन तुम
समता की बात तुम
शिक्षा का अवसर तुम
नभ का विस्तार हो
उपलब्धि का प्रमाण तुम
आदर्श की बात तुम
श्रृंगार और रात तुम
गंगा की धार निर्मल
ईश्वर की सौगात तुम
डॉक्टर, वैज्ञानिक तुम
शिक्षिका व नेत्री तुम
हर ऊंचाई तुमने छुई
नभ सा विस्तार तुम
प्रेम ,स्नेह ,दुलार तुम
प्रकृति सा श्रृंगार तुम
सहती अत्याचार सब
और पीड़ा,अपार तुम
सीता,सरस्वती,शारदा तुम
पुरुष के लिए मूर्ति में गुम
भक्त,बहकते अंधे होकर
अनाचार सह जाती तुम
अनाचारी,पुरुष वर्ग ले अब सुन
अब न रहेगी नारी गुमसुम
जनना कर सकती वो बन्द
पुरुष जाति हो जावेगी गुम
नारी का सम्मान करो तुम
हे पुरुष सभी ये ध्यान धरो तुम
दुर्गा सी,नारी में शक्ति भरी ,ब्रज
हो नारी पूज्य,यों काम करो तुम
- डॉ ब्रजभूषण मिश्र , भोपाल
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