काव्य :
मैं हँसती हूँ मुस्कुराती हूँ
मैं हँसती हूँ , मुस्कुराती हूँ,
हँसती हूँ, मैं गम भूलने के लिए|
हँसती हूँ, मैं दर्द मिटाने के लिए,
अपने दिल की उलझन छुपाने के लिए |
मै हसँती हुँ, मुस्कुराती हुँ...|| 1 ||
हँसती हूँ, अपनों के लिए,
हंँसती हूँ, मैं कुछ दिल के टुकड़ों,
मेरे दोस्तों के लिए|
हँसती हूँ, कुछ आँखों के तारों के लिए,
मैं हंँसती हूँ, मुस्कुराती हूँ || 2 ||
हंँसती हूँ, कुछ अपनापन पाने के लिए,
हंँसती हूँ, अपने सपनों को सजाने के लिए|
हंँसती हूँ, हर रोज एक नहीं,
उम्मीद जगाने के लिए,
मैं हँसती हूँ, मुस्कुराती हूं || 3 ||
- अंशिका यादव , वाराणसी
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