काव्य :
कृष्ण मिलन की आस
तेरी मीठी सी मुस्कान का,
एक छोटा सा अंश अपने मुख पर लाऊं।
पंक्षियों की चहचहाहट सी,
अपने कानों को तेरी मीठी मुरली की धुन सुनाऊं।
तेरी काली सुंदर सी देह सा,
काजल अपनी आंख में लगाऊं।
तेरे नीले-हरे मोर पंख से,
वस्त्र पहन अपने तन को सजाऊं।
पिताम्बर सी चूड़ी,
अपने हाथों में पहनाऊं।
गले में पड़ी माला से,
फूल अपने केशों में सजाऊं।
तेरे नेत्रों की चमक अपने,
झूमके में लाऊं।
तेरे चरणों की छाप,
अपने माथ लगाऊं।
तेरी भक्ति और प्रेम को,
मैं तुलसी कंठी से दर्शाऊं।
पायल पहन सीधे तेरी चौखट आऊं।
हे कृष्ण! तुमसे मिलने के लिए खुद को मैं आज सजाऊं।
- समृद्धि विश्वकर्मा , वाराणसी
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