काव्य :
अभियान सिन्दूर अधूरा है..
- इंजी. अरुण कुमार जैन
आतंक गढों को ध्वस्त किया व सैन्य चौकियां मिटवा दीं,
मारे सैकड़ों आतंकी, जड़ें समूल उखड़वा दीं.
एयर बेस कर धूल धूसरित,
पापी का दम्भ मिटा डाला,
चीनी व तुर्की ताकत को,
तुमने परनाले में डाला.
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सिन्दूर उजाड़ा दुश्मन ने, आँसू से आँखें भर डालीं,
अवसाद घना था, रोम रोम,
परछाई गम की थी काली.
सिन्दूर अभियान अधूरा है, उसको पूरा करना होगा,
दहशतगर्दी के पोषक जो,
उनका विनाश करना होगा.
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उनकी कल के जो जो फल हैं, बहिष्कार करें उनका मिलकर,
कपड़े, मशीन,मोबाइल, फल, का त्याग करें हम सब मिलकर.
रंगीन खिलौने चमकीले,
ए.आई.या वह कुछ भी हों,
हैं निकृष्ट,त्याज्य व ज़हर भरे
चाहे अमृत के प्याले हों.
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वन्दनीय अनुपम व श्रेष्ठ है,
हम सब को अपनी माता,
उसके उत्पादन विश्व वंद्य,
यश, प्रगति, सुखद कल के दाता.
बस भारतीय हों हर घर में,
त्याज्य सभी हो दुश्मन का,
पाकिस्तानी, बांग्लादेशी, तुर्की, चीनी गठबंधन का.
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ठप्प करो उत्पादन उनका,
अपना धन देना बंद करो,
डेढ़सौ करोड़ भारतवासी,
अब सब मिल स्वर बुलंद करो.
गिड़गिड़ाकर वे रोयेंगे,
औकात पता चल जायगी,
मोहताज हों कौड़ी कौड़ी को, सच्चाई समझ तब आएगी.
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अभियान सफल तब ही होगा, जब ये सिंदूर संभालेंगे.
हर आंतकी को चुन चुन कर, ये सब गोली से मारेंगे.
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