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अंतर्राष्ट्रीय विश्वमैत्री मंच का एक अभिनव आयोजन, कहानी संवाद ‘दो कहानी- दो समीक्षक’


अंतर्राष्ट्रीय विश्वमैत्री मंच का एक अभिनव आयोजन, कहानी संवाद ‘दो कहानी- दो समीक्षक’ 
 

“ कहानी अपने युग की  निर्ममता को फूलों की पंखुड़ियों से सजाकर नहीं लिखी जाती।”

- संतोष श्रीवास्तव 

“स्वाभिमान से सजी मुस्कुराहट, अकेलेपन की सबसे सुंदर ढाल होती है।”

“जब स्नेह के स्वर फीके पड़ने लगें, तब संबोधन भी कितने खोखले लगते हैं।”

 - (शकुंतला मित्तल की कहानी ‘नई शुरुआत’ के अंश) 

“शहर पहुंच कर नेहा अपने घर से फर्लांग भर दूर गाड़ी से उतरी और पलटी| जाने से पहले उदास आंखों से इतना ही कह पाई, मैं जानती हूँ कि सपनों के महल में खिड़कियां नहीं हुआ करती है। हम दोनों को बिना खिड़की के इस सपनों के महल में रहना होगा। तुम अपनी कम्पनी में अर्जी देकर देखना और अलास्का आने के लिए कोशिश करते रहना। मैं इंतजार करूंगी। 

- (कान्ता रॉय की कहानी “उदास आँखों के जलते बुझते जुगनू” का अंश।) 

दिनाँक 10 मई 2025, शनिवार को शाम गूगल मीट पर आयोजित किया गया। 

इस अवसर अध्यक्षता कर रही अंतर्राष्ट्रीय विश्वमैत्री मंच की संस्थापक अध्यक्ष संतोष श्रीवास्तव ने दोनों कहानियों की समीक्षा करते हुए कहा कि शकुंतला मित्तल की कहानी ‘नई शुरुआत’, दरअसल दो पीढ़ियों के टकराव की कहानी है। जो यह सीख देती है कि परिवार का मतलब होता है समझौता और  समर्पण। 

कान्ता रॉय की कहानी “उदास आँखों के जलते बुझते जुगनू”, एक बहुत ही सुन्दर प्रेम कहानी है। इसकी भाषा और शैली बहुत प्रभावी है। 

आपने वर्तमान परिपेक्ष्य में देश काल और परिस्थितियों पर भी बात करते हुए कहा कि एक कहानीकार इनसे अछूता नहीं रह सकता। जब देश पर संकट के बादल मंडरा रहे हों और परिस्थितियां युद्ध पर आमादा कर रहीं हों तब - 

“निर्मम बातों को फूलों से सजाकर नहीं लिखा जा सकता।”

आपने कहानी के नए स्वरुप यू ट्यूब पर ऑडियो के रूप में प्रचलन पर भी बात की और कहा कि कहानी इस तरह उन लोगों तक भी अपनी पहुँच बनाएगी जो देख नहीं सकते। लेकिन इसके लिए यह ज़रूरी है कि कहानी रोचक हो और बार-बार सुनने को प्रेरित करे।  

मुख्य अतिथि अनिता रश्मि ने कहा कि कहानी नई शुरुआत एक भाव पूर्ण कहानी है। यह कहानी - “स्वाभिमानी व्यक्ति की नहीं समिष्टि की बात करती है।” 

कांता रॉय की कहानी ‘उदास आँखों के जलते बुझते जुगनू’  पर बात करते हुए विशिष्ट अतिथि डॉ गीता यादव ने कबीर के दोहे को उद्धृत किया। 

“प्रेम  गली अति सकरी, ता में दो न समाही।” 

आपने कहानी के विभिन्न पहलुओं और उसके किरदारों पर विस्तार से बात की। नारी विमर्श के साथ ही परदेश खासतौर से अमेरिका में देश वासियों के प्रति अपनाए जाने वाले दृष्टिकोण पर भी चर्चा की।

अंतर्राष्ट्रीय विश्वमैत्री मंच की मध्य प्रदेश इकाई की अध्यक्ष शेफालिका श्रीवास्तव ने कहानी संवाद में उपस्थित सभी साहित्य सुधि जनों का आत्मीय स्वागत किया। 

कार्यक्रम का सञ्चालन करते हुए अंतर्राष्ट्रीय विश्वमैत्री मंच की मध्य प्रदेश इकाई  के महासचिव मुज़फ्फर सिद्दीकी ने अपनी भूमिका में कहा कि कहानी संवाद का यह कार्यक्रम कहानीकारों के बीच संवाद का भी एक माध्यम बन गया है। 

अंतर्राष्ट्रीय विश्वमैत्री मंच की मध्य प्रदेश इकाई की मंत्री जया केतकी शर्मा ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए खासतौर पर कान्ता रॉय की कहानी के उस अंश को दोहराते हुए कहा कि  प्रेम में वही गलती जब पुरुष करता है तो उसका कोई दोष नहीं होता लेकिन जब एक महिला करती है तो समाज उसे दोषी ठहराता है। महिलाओं के प्रति यह दृष्टिकोण गलत है। 

प्रस्तुति 

- मुज़फ़्फ़र सिद्दीकी

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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