देश की माटी को समर्पित मेरे सुमन
देश की माटी को समर्पित मेरे सुमन !
तुम लाल मेरे ,मेरा सुहाग ,
मेरे पिता तुम , तुम भाई मेरे ,
माटी में साथ खेले ,मेरे सखा ,
तुम्हें याद करके भीगा है मन |
देश की माटी को समर्पित मेरे सुमन !!
सावन की रिम झिम ,कभी साथ भीगे थे हम ,
कभी न साथ छोड़ोगे , कहते थे तुम ,
पर आज फिर है सावन ,और हम अकेले ,
तुम्हारा साथ –तुम्हारी यादें ,अब केवल बीता सपन |
देश की माटी को समर्पित मेरे सुमन !!!
गोद में मेरी पले , थाम कर अंगुली चले ,
आँख उठा आकाश देखा , छूना चाहा हरदम गगन,
देश की माटी को समर्पित , तुमने छुई ऊँचाइयाँ वो ,
लोग चाहे भूल जाएँ , भूलेगा नहीं तुमको चमन |
देश की माटी को समर्पित मेरे सुमन !!!!
देश की माटी को समर्पित मेरे सुमन !!!!
- डॉ गिरिजेश सक्सेना, भोपाल
Tags:
काव्य