काव्य :
मेरी मां
दुख तेरे मैं ,ले लूं मां
तेरे आंसू,मैं पी लूं मां
तेरा दूध पी मै,बड़ा हो रहा
क्यों तेरे आंसू, छलके मां
तूने जननी,मुझे प्यार दिया
लाड किया,दुलार किया
मेरी खातिर, सब दुख हैं सहे
तुझको रोता ,न देखूं मां
चुप हो जा,तू मुझ से खेल
ना हो निराश,तू हंस दे मां
बड़ा और मुझे हो जाने दो
तुझे सुख ही सुख दूंगा, मैं मां
तेरा नाम करूंगा, मैं ही मां
बड़े काम करूंगा, मैं ही मां
सदा गर्व तुझे होगा, मुझ पर
*ब्रज*, हंस अब, हंस दे मेरी मां
- डॉ ब्रजभूषण मिश्र , भोपाल
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