सरोकार :
खान नदी पर जब बनेगा पक्का बांध, तब ही शिप्रा होगी शुद्ध
- डॉ. चन्दर सोनाने, उज्जैन
.... और एक बार फिर त्रिवेणी पर खान नदी पर बनाया गया कच्चा बांध टूट गया। यह पहली बार नहीं हुआ है। पहले भी कई बार हो चुका है। और जब-जब ऐसा हुआ, तब-तब खान नदी का गंदा और प्रदूषित जल पतित पावन शिप्रा नदी में तेजी से मिलता रहा है और उसे भी प्रदूषित करता रहा है। इस बार भी यही हुआ। हाल ही में 29 मई को खान नदी पर त्रिवेणी में बनाया गया कच्चा बांध टूट गया और तेजी से इसका गंदा पानी शिप्रा में मिलता रहा और उसे प्रदूषित कर गया। श्रद्धालु मन मारकर इस गंदे और प्रदूषित पानी में स्नान करने के लिए मजबूर है। उल्लेखनीय है कि 5 जून को गंगा दशमी का त्यौहार आ रहा है। इस दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु शिप्रा नदी में स्नान के लिए आयेंगे।
खान नदी के दूषित और प्रदूषित जल को शिप्रा में मिलने से रोकने के लिए सिंहस्थ 2016 में 90 करोड़ की लागत से खान डायवर्जन योजना बनाई गई जो अगले साल ही असफल सिद्ध हो गई। पूरे पैसे पानी में बह गए। जल संसाधन विभाग ने यह योजना क्रियान्वित की थी। उस विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों का कुछ नहीं हुआ। और जब इस बार फिर त्रिवेणी पर खान नदी में बना कच्चा बांध टूट गया और उसका गंदा पानी शिप्रा को प्रदूषित कर गया तब भी यह तय है कि अधिकारियों का कुछ नहीं होगा!
त्रिवेणी पर खान नदी में बनाए जा रहे कच्चे बांध बनाने का लंबा इतिहास है। करीब दो दशकों से खान नदी में त्रिवेणी पर हर साल 15 से 20 लाख रूपए की लागत से कच्चा बांध बनता आया है। और हर बार बारिश के पहले ही खान नदी में मावठे का पानी आने से और बहाव तेज होने पर कच्चा बांध टूट जाता है और शिप्रा को वह प्रदूषित कर देता है। आपको करीब 6 साल पहले की महत्वपूर्ण घटना बता रहे हैं। उस समय 6 जनवरी 2019 को शनिश्चरी अमावस्या आई थी। जिला प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं के स्नान की कोई व्यवस्था नहीं की थी। श्रद्धालुओं को गंदे और मटमैले पानी में स्नान करने के लिए बाध्य होना पड़ा था। मीडिया में भी इसकी आलोचना की गई थी। उस समय कुछ दिन ही हुए थे कि श्री कमलनाथ ने मुख्यमंत्री का पदभार संभाला था। तब मुख्यमंत्री ने तत्काल उज्जैन के तत्कालीन संभागायुक्त श्री एम बी ओझा और तत्कालीन कलेक्टर श्री मनीष सिंह को हटाकर वाहवाही लूटी थी।
मुख्यमंत्री ने इसके साथ ही इस घटना की जाँच के लिए अपने मुख्य सचिव श्री एस आर मोहन्ती को उज्जैन भेजा था। उन्होंने जाँच कर जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के विरूद्ध कार्रवाही की थी। इसके साथ ही उन्होंने त्रिवेणी संगम के पहले खान नदी पर हर साल बनाए जाने वाले कच्चे बांध की जगह पक्का बांध बनाने के निर्देश दिए थे। वे निर्देश आज भी ठंडे बस्ते में पड़े हैं। श्री कमलनाथ चले गए। श्री शिवराज सिंह चौहान आए। वे भी चले गए। अब एक साल पहले डॉ. मोहन यादव मुख्यमंत्री बने हैं। किन्तु हर साल कच्चा बांध ही बनता आ रहा है। अभी तक पक्का बांध नहीं बना। क्यों नहीं बना? इसका उत्तर सब जानते हैं। कच्चे बांध में हर साल भ्रष्टाचार की काफी गुंजाईश रहती है, वह पक्के बांध में नहीं रहती है। शायद इसीलिए अब तक खान नदी पर पक्का बांध नहीं बना। और हर साल वही होता है, जो हाल ही में हुआ। शायद आगे भी ऐसा ही होता रहेगा, जब तक की पक्का बांध नहीं बन जाता।
अब एक बार फिर प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के प्रयासों से करीब 600 करोड़ रूपयों की खान डायवर्जन क्लोज डक्ट योजना के जरिए खान नदी के दूषित पानी का उपचार कर उसका साफ पानी गंभीर डाउन स्ट्रीम में छोड़ा जायेगा। सिलारखेड़ी-सेवरखेड़ी बेराज से शिप्रा में पानी की आपूर्ति होती रहेगी। इससे शिप्रा प्रवाहमान बनी रहेगी। इसके साथ ही हरियाखेड़ी परियोजना त्रिवेणी की अपस्ट्रीम में होने के कारण यहाँ से शिप्रा को शुद्ध पानी मिलेगा। इससे उज्जैन को निरंतर पीने का पानी सप्लाय किया जायेगा।
खान डायवर्जन क्लोज डक्ट परियोजना, सेवरखेड़ी-सेलारखेड़ी मध्यम परियोजना और हरियाखेड़ी परियोजना का कार्य पूर्ण होने पर सभी एकीकृत रूप से कार्य करेंगे। इसमें खास बात यह है कि यह एकीकृत परियोजना की कार्ययोजना 2055 तक की जनसंख्या को ध्यान में रखकर बनाई गई है। इससे शिप्रा में स्नान के लिए स्वच्छ जल मिल सकेगा और उज्जैन को वर्षभर पेयजल भी प्रदाय हो सकेगा। इससे एक आस बनी है।
प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ऊर्जावान मुख्यमंत्री है। उन्होंने पूर्व में बनी और स्वीकृत हो चुकी खान डायवर्जन क्लोज डक्ट परियोजना में आवश्यक संशोधन कर अब यह तय कर दिया है कि खान नदी का प्रदूषित जल वापस शिप्रा नदी में नहीं मिलेगा। इसलिए यह योजना आज महत्वपूर्ण हो गई है। पूर्व में सिंहस्थ 2016 के समय 90 करोड़ से बनी खान डायवर्जन योजना में खान नदी का गंदा पानी 19 किलोमीटर दूर वापस कालियादेह के पास ही शिप्रा नदी में मिलता था, यह उस योजना की सबसे बड़ी कमी थी।
त्रिवेणी पर हर साल खान नदी पर बनने वाले कच्चे बांध की जगह अब पक्का बांध बनाया जाना जरूरी हो गया है। मुख्यमंत्री को चाहिए कि वे अब खान नदी पर कच्चे बांध की जगह पक्का और पर्याप्त ऊँचा बांध बनाने के निर्देश अधिकारियों को दें, ताकि फिर कभी खान नदी का गंदा पानी शिप्रा नदी में मिलकर उसे गंदा और प्रदूषित नहीं कर सके। इसके साथ ही शिप्रा नदी में उज्जैन के गंदे नालों को मिलने से रोकने के लिए भी ठोस प्रयास करें। यदि ऐसा होगा तो यह श्रद्धालुओं के लिए सबसे बड़ी सौगात होगी।
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