बच्चों को संस्कारित करने में बाल साहित्य की भूमिका महत्वपूर्ण - निर्मला भूरिया
भोपाल | ' बच्चों को संस्कारित करने में बाल साहित्य की भूमिका महत्वपूर्ण है , आज के बच्चे हमारे राष्ट्र के आने कल का भविष्य हैं ,इसलिए अपने बच्चों ,अपने समाज और राष्ट्र के उज्ज्वल और स्वर्णिम भविष्य के लिए बच्चों का संस्कारवान होना बहुत आवश्यक है ,यह उदगार हैं सुश्री निर्मला भूरिया मंत्री महिला एवं बाल विकास मध्यप्रदेश शासन भोपाल के वे सप्रे समाचार पत्र संग्रहालय सभागार में बाल साहित्यकार इंदिरा त्रिवेदी के बाल कहानी संग्रह "गूंगी गुड़िया " के लोकार्पण अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रही थी | इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ.विकास दवे निदेशक साहित्य अकादमी ने कहा कि आज के बच्चे सोशल मीडिया पर काफी समय बिता रहे हैं जिसके अनेक दुष्परिणाम हमारे सामने आ रहे हैं ,अच्छे बाल साहित्य से हम बच्चों में होने वाले इस सांस्कृतिक क्षरण और प्रदूषण से उन्हें बचा सकते हैं | इस आयोजन में रचनाकार इंदिरा त्रिवेदी ने विमोचित कृति से ' गूंगी गुड़िया कहानी ' का वाचन किया और अपनी साहित्यिक यात्रा के बारे में मन की बातें साझा की , | कार्यक्रम में पुस्तक केंद्रित समीक्षा साहित्यकार समीक्षक घनश्याम मैथिल 'अमृत ' ने प्रस्तुत करते हुए कहा कि संग्रह की सभी कहानियां सहज सरल और पठनीय हैं तथा उनके विषय आज के बच्चों के मनोकूल हैं | कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री विजयदत्त श्रीधर संस्थापक माधवराव सप्रे समाचार पत्र संग्रहालय, वरिष्ठ बाल साहित्यकार एवं निदेशक बाल कल्याण एवं बाल साहित्य शोध संस्थान महेश सक्सेना भी विशिष्ठ अतिथि के रूप में उपस्थित थे |कार्यक्रम में स्वागत उद्बोधन साहित्यकार गोकुल सोनी ने दिया ,कार्यक्रम का सफल संचालन दीपक पगारे ने किया ,कार्यक्रम के अंत में आभार नीना सिंह सोलंकी ने प्रकट किया ,इस आयोजन में शहर के अनेक प्रबुद्ध साहित्यकार एवं पाठक बड़ी संख्या में उपस्थित थे |