प्रदेश में एमएसएमई को बूस्टर डोज से रोजगार सृजन, कैसे?
- डॉ बी आर नलवाया शिक्षाविद एवं अर्थशास्त्री मंदसौर
( प्रस्तुति डॉ घनश्याम बटवाल )
मध्य प्रदेश में अधोसंरचना विकास एवं औद्योगिक नीतियों और निवेश प्रोत्साहन से उद्योगों को ऑक्सीजन मिला है ,जिससे औद्योगिक क्षेत्र में क्रांति आई है । देशी विदेशी उद्यमी मेहमानों ने उद्योगों को लगाने में रुचि दिखाई है। अब एमएसएमई सेक्टर में निवेश की सीमा ढाई करोड रुपए व टर्नओवर दुगना किया गया है। इसमें ढाई करोड़ तक निवेश 10 करोड़ टर्नओवर वाली कंपनी ‘सूक्ष्म ‘कहलाएगी। 25 करोड़ निवेश100 करोड़ टर्नओवर वाली कंपनी,’लघु,’ और 125 करोड़ निवेश 500 करोड़ टर्नओवर वाली कंपनी ‘मध्यम’ कहलाएगी।
अभी 1 करोड़ एमएसएमई के जरिए करीब 7.50 करोड़ लोगों को रोजगार मिलता है । एमएसएमई के लिए क्रेडिट गारंटी 5 करोड़ से बढ़कर 10 करोड़ कर दी गई ,इससे 5 साल में 1.5 लाख करोड़ अधिक कर्ज उपलब्ध होगा। बहुत छोटे उद्योगों के लिए 5 लाख सीमा वाले 10 लाख क्रेडिट कार्ड लॉन्च होंगे, उद्यम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करना होगा। पहली बार उद्योगों के लिए नई योजना ऐलान किया गया है। इसके कारण मध्य प्रदेश में उद्योगों के लिए उचित माहौल मिल रहा है ,और मध्य प्रदेश औद्योगिक हब बनता जा रहा है।
ओद्योगिक विकास के लिये प्रदेश सरकार ने मंदसौर जिले के सीतामऊ में एम पी राइज कॉन्क्लेव आयोजित की अब रतलाम में आयोजित होने जारही है ।
भारत सरकार एमएसएमई क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं और नीतियां बनाती और लागू करती हैं । इसके साथ ही समय-समय पर इसमें संशोधन भी किया जाता है, ताकि औद्योगिक क्षेत्र को बढ़ावा मिले।
एमएसएमई का मतलब सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (Micro, Small and Medium Enterprises) है। यह भारत सरकार का मान्यता प्राप्त एक ऐसा क्षेत्र है ,जिसमें छोटे और मध्यम स्तर के व्यवसाय शामिल होते हैं । यह व्यवसाय विनिर्माण सेवा या व्यापार क्षेत्र में हो सकते हैं और इन्हें उनके निवेश और वार्षिक कारोबार के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। इस दिवस पर उद्योग के बारे में जानकारी लेना--देना तथा नवोदय में नवीन उद्यमी को प्रेरित करके प्रोत्साहित करने का यह दिवस नव उद्यमी को प्रेरणा देने के लिए महत्वपूर्ण दिन होता है ।, मध्य प्रदेश के प्रत्येक जिले में जिला उद्योग व्यापार केंद्र द्वारा इस दिवस को मनाया जाना चाहिए।
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों को राज्य की आर्थिक प्रगति का प्रमुख आधार मानते हुए, 27 जून को अंतरराष्ट्रीय सूक्ष्म ,लघु और मध्यम उद्यम दिवस पर रतलाम के शहीद स्मारक मैदान में “रीजनल इंडस्ट्री स्किल एंड एंप्लॉयमेंट कॉन्वलेव” एमपी 2025 का आयोजन किया जाएगा, इसमें इसके बाद छिंदवाड़ा ,मुरैना और सतना में भी यह कार्यक्रम होगा प्रत्येक जिले को उसकी विशिष्ट औद्योगिक पहचान के अनुरूप विकास के समान अवसर प्राप्त होगे ।अब एमएसएमई सेक्टर में 30 दिनों के भीतर उद्योग शुरू करने की पहल हो चुकी है। ज्ञात रहे वर्ष 2025 को उद्योग एवं रोजगार वर्ष घोषित किया गया है ।
अब तक उज्जैन, जबलपुर ,ग्वालियर ,सागर ,रीवा नर्मदा -पुरम और शहडोल में संपन्न रीजनल इंडस्ट्री कान्वलेव में निवेश के महत्वपूर्ण प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं । देश के महानगरों में किए गए रोड शो से एक लाख करोड रुपए से अधिक के निवेश, इसके साथ ही यूके तथा जर्मनी की यात्रा में 78,000 करोड रुपए के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए इन संयुक्त प्रयासों से अब तक कुल 4,71,000 करोड रुपए का निवेश और लगभग चार लाख से अधिक व्यक्तियों को रोजगार के अवसर प्राप्त होगा। देश विभिन्न राज्यों के जिले में निवेश प्रोत्साहन हेतु केंद्र शुरू किए गए हैं। एक समय मध्य प्रदेश बीमार राज्य की गिनती में था ,2047 तक पूर्ण विकसित देश में के लक्ष्य को पाने के लिए अथक प्रयास किया जा रहे हैं।
केंद्रीय बजट 1 फरवरी 2025 में एमएसएमई के माध्यम से रोजगार बढ़ाने का प्रयास किया गया है ।सरकार द्वारा दी गई विभिन्न सेक्टर को रियासत से देश में अगले वर्षों में कुल 2 करोड़ रोजगार पैदा होने का अनुमान लगाया गया है। उसे देखा जाए तो एमएसएमई की इकाइयों में बड़े उद्योगों की तुलना में चार से पांच गुना अधिक रोजगार मिलता है । उल्लेखनीय है कि 12:50 लाख इकाइयां एमएसएमई प्रदेश में कार्यरत , इसके 66 .21 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला हुआ है ,इन इकाइयों में 42 942 करोड रुपए का निवेश है ,इसके साथी एमएसएमई में वार्षिक टर्नओवर 639045 करोड रुपए का होता है। नव उधमियों के उद्योग स्थापना के लिए सहजता और सरलता का माहौल बनाने के क्रम में 37 भागों में 2483 अनुपालन काम किए गए हैं, दूसरी तरफ कानूनी सुधार के अंतर्गत 920 पुराने अधिनियमों को निरस्त किया गया साथ ही 67 प्रावधानों को अपराध मुक्त किया गया है।
अब मध्यम वर्ग के सीधे लाभ होगा, इसके साथ ही केंद्र सरकार अपनी कुल खरीदी का बड़ा हिस्सा एमएसएमई कंपनियों से खरीदती हैं, वैसे मध्य प्रदेश में शुरूआत से बड़े उद्योगों को प्रोत्साहित करने की दिशा में काम होता रहा ,इसे सरकार को अच्छा राजस्व मिलता है, परंतु रोजगार के उतने अवसर सृजित नहीं हो पाते जितने की प्रदेश को दरकार है ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मनशा भी छोटे-छोटे उद्योग की स्थापना करके आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने की भी है, छोटे उद्यम न सिर्फ अब रोजगार का बड़ा जरिया है बल्कि बड़े स्तर पर रोजगार भी उपलब्ध कराते हैं यही वजह है कि प्रदेश में एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए निवेश प्रोत्साहन दिया जा रहा है अब तक केंद्र सरकार ने एमएसएमई का दायरा भी बढ़ा दिया है। सरकार भी नए-नए क्षेत्रों में संभावनाएं तलाश रही हैं, मध्य प्रदेश में उद्योग क्षेत्र में विकास की अपार संभावना है । नई संभावनाओं को लगातार देखते हुए भारतीय उद्यमिता संस्थान अहमदाबाद मध्य प्रदेश में अध्ययन भी करेगा।