मंदसौर को महाकवि कालिदास से पहचान दिलाने का संकल्प — पूर्व विधायक श्री सिसोदिया
प्रतियोगिताओं के विजेताओं को दिए पुरस्कार
कालिदास प्रसंग का हुआ समापन
मंदसौर से डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट
मंदसौर। कालिदास संस्कृत अकादमी उज्जैन, मप्र संस्कृति परिषद के संयुक्त तत्वावधान में और जिला प्रशासन के सहयोग से आयोजित दो दिवसीय कालिदास प्रसंग का समापन ओर सम्मान समारोह गरिमामय वातावरण में शुक्रवार को सम्पन्न हुआ। इस सत्र के मुख्य अतिथि पूर्व विधायक एवं भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री यशपाल सिंह सिसोदिया , विशिष्ट अतिथि कलेक्टर श्रीमती अदिति गर्ग एवं अध्यक्षता कृषि वैज्ञानिक नरेंद्र सिंह सिपानी ने की।
कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती व महाकवि कालिदास के चित्र पर माल्यार्पण से हुआ।
मुख्य अतिथि श्री सिसोदिया ने कहा कि कालिदास की जन्मस्थली मंदसौर है, यह बात इतिहास और मेघदूतम् जैसे ग्रंथों में अष्टमूर्ति यानी पशुपतिनाथ के उल्लेख से प्रमाणित होती है। उन्होंने जोर दिया कि मंदसौर को कालिदास के नाम से जोड़ने के प्रयास और तेज हों — महामहिम राष्ट्रपति, राज्यपाल, मुख्यमंत्री जैसे शीर्ष नेतृत्व को इस आयोजन से जोड़ने की शुरुआत की जाएगी। उन्होंने कहा, "हमने रावण और यशोधर्मन की प्रतिमाएं तो स्थापित की हैं, अब समय है कि कालिदास की प्रतिमा भी स्थापित की जाए, ऑडिटोरियम का नाम उनके नाम पर हो।उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे साहित्य, लेखन और संस्कृति के संरक्षण में सहभागी बनें। "हमारा जिला सिर्फ अफीम और ड्रग्स के लिए नहीं जाना जाए, बल्कि कालिदास की प्रेरणा के लिए पहचाना जाए।" उन्होंने यह बात जोर देकर कही। साथ ही सोशल मीडिया पर सकारात्मकता फैलाने और कालिदास को गर्व से मंदसौर का बताने का आग्रह भी किया।
कलेक्टर श्रीमती अदिति गर्ग ने अपने संबोधन में कहा कि दो दिवसीय आयोजन में कालिदास को लेकर विचारों की सुंदर प्रस्तुति हुई। "किसी भी आयोजन की सफलता भीड़ से नहीं, बल्कि गुणवत्ता से तय होती है।" उन्होंने आश्वासन दिया कि प्रशासन कालिदास प्रसंग को स्थायित्व देने तथा जनप्रतिनिधियों, लेखक, विचारकों और युवाओं को इससे जोड़ने के प्रयास करेगा।
कार्यक्रम में स्वागत उद्बोधन देते हुए कालिदास प्रसंग आयोजन समिति संरक्षक एवं वरिष्ठ पत्रकार डॉ. घनश्याम बटवाल ने कहा कि यह आयोजन लगातार भव्य रूप लेते हुए ग्यारहवें वर्ष में प्रवेश कर गया है। इस वर्ष नवाचारों के साथ युवा पीढ़ी को जोड़ते हुए संस्कृत श्लोक व कालिदास केंद्रित संभाषण प्रतियोगिता आयोजित की साथ ही दशपुर व मंदसौर के इतिहास पुरातत्व मुद्राओं शस्त्रों की प्रदर्शनी लगाई गई जिसे अश्विनी शोध संस्थान माध्यम से प्रस्तुत की । कालिदास प्रसंग को स्थाई ओर विस्तारित स्वरूप देने के लिए सतत कार्य हो रहे हैं ।
साहित्य अनुरागी एवं कृषि वैज्ञानिक नरेंद्र सिंह सिपानी ने कहा कि इतिहासकारों द्वारा मंदसौर को कालिदास की जन्मस्थली प्रमाणित किया गया है, इसलिए यह धरती उनके नाम से जानी जानी चाहिए।
इसके पूर्व महाकवि कालिदास साहित्य में लोकमंगल विषय पर व्याख्यान कार्यक्रम हुआ । जिसमें डॉ रघुवीर प्रसाद गोस्वामी भोपाल , डॉ किरण आर्य सागर और डॉ जे एन त्रिपाठी भोपाल के व्याख्यान हुए । कार्यक्रम की अध्यक्षता दशपुर प्राच्य शोध संस्थान निदेशक एवं प्रख्यात इतिहासकार डॉ कैलाश चंद्र पांडेय ने की ।
डॉ पांडेय ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कालिदास की जन्मभूमि मालवा के मंदसौर - दशपुर निरूपित करते हुए 1915 में श्री शास्त्री के शोध आलेख को आधार बताया और कहा कि अन्य तथ्य भी इसे प्रमाणित करते हैं । व्याख्यान कार्यक्रम संचालन डॉ के आर सूर्यवंशी ने किया ।
समारोह में महाकवि कालिदास साहित्य पर आधारित महाविद्यालय एवं हायरसेकंडरी स्तर की संस्कृत श्लोक पाठ,संभाषण प्रतियोगिताओं के विजेताओं को प्रमाण पत्र एवं प्रोत्साहन पुरस्कार प्रदान किए गए। प्रतियोगिता के प्रेरक शिक्षकों तथा मालती गेहलोत को रंगोली चित्रण के लिए सम्मानित किया गया। आयोजनों में सहयोग देने वाले सक्रिय सहयोगियों को भी सम्मानित किया गया।
कालिदास अकादमी उज्जैन के कार्यक्रम प्रभारी अनिल कुमार बारोड़ ने अतिथियों का अकादमी की ओर से शाल ओढ़ाकर पुष्प गुच्छ भेंट कर स्वागत सम्मान किया।
वाल्मीकि समाज प्रमुख एवं स्वच्छता ब्रांड एम्बेसडर राजाराम तंवर द्वारा मंचासीन अतिथियों ओर अतिथि विद्वानों का साफा , शाल ओर श्रीफल भेंट कर सम्मान किया।
कार्यक्रम का संचालन कालिदास प्रसंग के स्थानीय संयोजक ब्रजेश जोशी ने किया, आभार कार्यक्रम प्रभारी अनिल कुमार बारोड़ ने माना।
समारोह में नगर के प्रबुद्धजन कैलाश चंद्र पांडेय ,मदन लाल राठौड़ डॉ.रवींद्र कुमार सोहनी,विक्रम विद्यार्थी, नरेन्द्र कुमार त्रिवेदी, पं.अरुण शर्मा ,अशोक शर्मा,सतीश नागर, विजय सिंह पुरावत,अशोक कुमार कुमठ,डॉ. रवींद्र पांडेय,भगवती प्रसाद गेहलोद, लोकेश पालीवाल,अजय बड़ोलिया, कन्हैया लाल भाटी,रमेश चंद्र चंद्रे राजाराम तंवर, डॉ. दिनेश तिवारी ,के आर सूर्यवंशी, डॉ. प्रतिभा श्रीवास्तव,जयेश नागर ,नगेन्द्र श्रीवास्तव,श्रीमती अर्चना दवे,महेश कुमार त्रिवेदी, नरेंद्र भावसार,नंद किशोर राठौर, अजीजुल्लाह खान खालिद,कांतिलाल राठौर,सुदीप दास, बंशीलाल टांक,गिरिजा शंकर रूनवाल दिलीप कुमार जोशी,सुनील व्यास नंद किशोर पाटीदार तथा महाविद्यालय के प्राध्यापक गण, विद्यालयों के शिक्षक गण विद्यार्थी, सामाजिक कार्यकर्ता आदि बड़ी संख्या में उपस्थित थे।