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काव्य : पर्यावरण की उड़ान - चन्दा डांगी , मंदसौर


 काव्य : 

पर्यावरण की उड़ान


सालों साल सब काट रहे पेड़ 

विकास के नाम पर,

उजाड़ रहे जंगल 

सब बेखबर, बिगाड़ कर पर्यावरण।

कुओं, तालाब को छोड़ 

घरों में पहुंचा नल 

सब बेखबर,बहा रहे हैं जी भर।

चिमनी, लालटेन ही ठीक था 

बिजली क्या आई,बटन बंद होने का नाम ही नहीं।

बिगड़े नहीं पर्यावरण, तो क्या होगा 

सोते रहे सालों साल, देखते रहे बिगड़ते हालात।

अब भी बचा है , थोड़ा पर्यावरण 

जाग जाए सभी, नहीं तो प्रलय दूर नहीं।

भर लें पर्यावरण की उड़ान 

गतिशील हो जाए, हवाई जहाज की तरह 

ढेरों लगाएं पेड़, बंद करें बिजली का हर वो बटन

जिसकी जरूरत नहीं।

पानी का उपयोग, जरूरत भर ही करें 

आवश्यकताओं को भी दें थोड़ा लगाम 

ताकि न हो खड़े, कचरों के पहाड़। 

साथ में रखें, एक कपड़े की थैली और स्टील की छोटी गिलास।

छोड़ दो सभी, पाॅलीथीन और डिस्पोजल 

थाम ले सभी, इसकी कमान 

कुछ ही दिनों में, उड़ेगी राॅकेट की उड़ान 

सरपट उड़ेगी, पर्यावरण की उड़ान।

सरपट उड़ेगी पर्यावरण की उड़ान।।


- चन्दा डांगी रेकी ग्रेंडमास्टर 

        मंदसौर मध्यप्रदेश

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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