काब्य :
अभिषेक तुम्हारा ही होगा
मन में जब करुणा जगती हो
किसी का कष्ट न मन सह पाता हो
निर्धन को देख मन रोता हो
असहायता दुर्बलता मन भावुक कर दें
तुम आगे बढ़,कष्ट हरते हो
अभिषेक तुम्हारा ही होगा
शिक्षा की अलख जगाते हो
पीड़ित का रोग भगाते हो
जल,वन संरक्षण करते हो
जन मन में चेतना भरते हो
पौधों का रोपण करते हो
अभिषेक तुम्हारा ही होगा
स्वच्छ, घर व पड़ोस भी रखते हो
गांव,शहरों को निज ही समझते हो
मर्यादित,शिष्ट,हो व्यवहार में तुम
सब नियम ,कानून के पालक हो
नागरिक भावना से भरे हो तुम
*ब्रज*,अभिषेक तुम्हारा ही होगा
- डॉ ब्रजभूषण मिश्र ,भोपाल
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