काव्य :
घर घर है तिरंगा
पर्व ,आजादी का हर घर है
देश का जन मन है रंगा
मान,सम्मान है देश हमारा
सज रहा है ,घर घर पर तिरंगा
खुशियाँ मन मन में हैं छाईं
रिश्तों में मिठास भर आई
जोश,उमंग का दौर सज गया
निर्मल ध्वज, मन मन में रंगा
दुश्मन डर से दुबक गए सब
सैनिक ,जवान हैं सभी सजग अब
साहस किसमे नजर उठाए
और भड़काए कोई,,शहर में दंगा
धर्म सभी का, देश प्रेम है
पूर्ण राष्ट्र में, कुशल क्षेम है
उन्नत देश हमारा सज रहा
देखो, विकास का बिगुल बज रहा
जन जन,मन मन सब चंगा है
खुशियां मन हैं, औ तिरंगा है
उत्सव है,त्योहार सजा,ब्रज
आजाद देश में घर घर तिरंगा है
- डॉ ब्रजभूषण मिश्र , भोपाल
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