लाखों के गहने एवं नगदी मिले राधावल्लभ साध दिनेश लोवंशी ने फोन लगाकर वापसी लौटाये
सिवनी मालवा । ईश्वर जमीदार पार्षद के जीजाजी राधावल्लभ साध बघवाड़ा जो कि अपने मित्र दिनेश लोवंशी के साथ पूज्य रामस्नेही गुरुदेव के चातुर्मास कार्यक्रम आवलीघाट से कार्यक्रम उपरांत रात्रि में वापस लौट रहे थे कि अचानक एक बैग सड़क पर गिरा हुआ दिखाई दिया जिसे उठाने के लिए गाड़ी धीमा करते हुए रोक ही रहे थे कि अचानक से पीछे से आ रही गाड़ी वाले ने उक्त बैग उठाकर अपना वाहन तेज गति से भगाना चालू कर दिया जिससे राधावल्लभ साध का शक और अधिक मजबूत हो गया कि यह बैग किसी दूसरे व्यक्ति का गिरा हुआ है। जहां आजकल सब ऐसे प्रपंचों से बचना चाहते हैं किसी के लफड़े में पढना नहीं चाहते परंतु राधावल्लभ साध एवं उनके मित्र दिनेश लोवंशी ने अपनी परवाह किए बिना उन्होंने बिना देर किए अपना वाहन उस गाड़ी के पीछे लगाया जिसने वहां पड़ा हुआ बैग उठाकर गाड़ी भगाना चालू किया था कुछ देर बाद ग्राम कोटलाखेड़ी पर वाहन को ओवरटेक करते हुए उस गाड़ी चालक को रोका और बैग के बारे में पूछताछ की और उस बैग अपने कब्जे में लिया और जब उस बैग को खोला तो उसमें जो वस्तु थी लाखों के गहने और हजारों की नगद राशि जिसे देखकर अच्छे-अच्छे का ईमान डोल जाए परंतु राधावल्लभ साध दिनेश लोवंशी ने अपनी ईमानदारी सक्रियता बहादुरी और कर्तव्यनिष्ठ का परिचय देते हुए बैग में मिली एक बिल की स्लिप पर फोन नंबर के आधार पर उक्त व्यक्ति को फोन किया जो कि समीप के गांव झिल्लाए निवासी राजेंद्र राठौड़ संध्या राठौर नाम बताया जब उनसे आपका कुछ सामान खो जाने की बात कही उन्होंने तुरंत जवाब दिया कि हम पूरे गांव में हमारे बैग को ढूंढने में लगे हैं तब राधावल्लभ साध ने कहा कि आप घबराएं नहीं आपका बैग और बैग में रखा सामान पूरी तरह से सुरक्षित है और हम कोटलाखेड़ी के पास खड़े हैं आप यहां आ जाए और अपना सामान ले जाएं बैग घूमने की पुष्टि होने के बाद उनका जो जो सामान था उसे वापस कर दिया राजेन्द्र राठौड़ ने एकराधा वल्लभ साध एवं दिनेश लोवंशी को हृदय से धन्यवाद और आभार व्यक्त करता हूं उन्होंने कहा आपके कारण हम सभी को अपने आप पर गर्व है आज के इस कलयुग में आपने जो काम किया है वह होना असंभव है हम आज दिन देखते हैं कि एक और लोग परिवार के परिवार में ही झूठ फरेब धोखा करते हैं वही लोग महिलाओं से सोना चांदी लूट रहे हैं ऐसे में आपके द्वारा किया गया कार्य की जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है मां नर्मदा और गुरुजी के आशीर्वचनों को अपने चरितार्थ कर दिया कि नर सेवा ही नारायण सेवा है।