विश्व फोटोग्राफी दिवस विशेष | 19 अगस्त 2025
संजय प्रजापत ने फोटोग्राफी को बनाया करियर, विदेशों तक मिला सम्मान
हर साल 19 अगस्त को विश्व फोटोग्राफी दिवस मनाया जाता है। यह दिन उन कलाकारों को समर्पित है जो कैमरे की नजर से दुनिया की सुंदरता और भावनाओं को कैद करते हैं। तस्वीरें केवल यादें नहीं, बल्कि जीवन की कहानियां होती हैं। इस खास अवसर पर बात करते हैं हरदा जिले के ग्राम बीड़ के उस युवा की, जिसने अपने जुनून को करियर बनाया और फोटोग्राफी की दुनिया में अंतरराष्ट्रीय पहचान पाई।
गांव से शुरू हुआ सफर, दुनिया तक पहुंची रोशनी
ग्राम बीड़ निवासी संजय प्रजापत ने बचपन से ही फोटोग्राफी में रुचि दिखाई। साधारण कैमरे से गांव की गलियों, खेत-खलिहानों और लोगों के जीवन की तस्वीरें खींचना उनका शौक था। उनकी खींची तस्वीरों में ग्रामीण जीवन की सादगी और सुंदरता इस कदर झलकती थी कि लोगों ने उन्हें सराहना शुरू की। यही सराहना उन्हें बड़े मंचों तक ले गई।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित
संजय प्रजापत आज कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फोटोग्राफी प्रतियोगिताओं में सम्मान प्राप्त कर चुके हैं। उन्होंने गोवा, नैनीताल, मनाली और नेपाल, थाईलैंड जैसे मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए अपनी कला का प्रदर्शन किया। थाईलैंड में मिला सम्मान उनके सफर की बड़ी उपलब्धि है, जिसने साबित किया कि जुनून और लगन से कोई भी ऊंचाई हासिल की जा सकती है।
तस्वीरों में कहानियां छिपी होती हैं
संजय की तस्वीरें सिर्फ चित्र नहीं होतीं, बल्कि भावनाओं और कहानियों का दस्तावेज होती हैं। खेत में काम करते किसान, बचपन की मासूमियत, गांव की परंपराएं—इन सबको उन्होंने अपने कैमरे में इस तरह उतारा कि देखने वाला उनसे जुड़ाव महसूस करे।
युवाओं के लिए प्रेरणा
संजय की सफलता यह संदेश देती है कि छोटे से गांव का युवा भी अपनी मेहनत और कला के दम पर दुनिया में पहचान बना सकता है। उनका यह सफर हर उस युवा के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को सच करना चाहता है।
इस विश्व फोटोग्राफी दिवस 2025 पर बीड़ गांव गर्व महसूस कर रहा है कि उसका बेटा संजय प्रजापत कैमरे की नजर से न केवल जीवन की सुंदरता दिखा रहा है, बल्कि गांव का नाम भी रोशन कर रहा है
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