काव्य :
नवरात्रि की महिमा
ये नौ दिनों का त्योहार है,जीवन का उद्धार है।
पूजा अर्चना नव दुर्गा माता की,सबका बेड़ा पार है।
पहले दिन मांँ शैलपुत्री,उर्जा देती पहाड़ों की पुत्री।
मन मस्तिष्क को शांत कराती, विकारों को स्वच्छ कराती।
दूसरे दिन मांँ ब्रह्मचारिणी, संसार में अपनी पहचान बनायें।
जाने मांँ के अनंत स्वरूप को,मांँ की भक्ति में लीन हो जायें।
तीसरे दिन चंद्रघंटा मांँ,शीतल चन्द्र की तरह चमकने वाली,
द्वेष,इर्ष्या,घृणा से छुटकारा, नकारात्मक सोच मिटाने वाली।
चौथे दिन मांँ कूष्माण्डा, उन्नति का मार्ग बताने वाली,
मस्तिष्क में उत्पन्न विचार शक्ति को शिखर पर पहुँचाने वाली।
पांचवें दिन स्कंदमाता,जो है कार्तिकेयन की माता।
व्यवहारिक ज्ञान को दे बढ़ावा,आशीर्वाद देने वाली माता।
छट्ठे दिन कात्यायनी माता, सकारात्मक सोचते जाना।नकारात्मक शक्तियांँ आये राह में,उसका ये करे खात्मा।
सातवे दिन मांँ कालरात्रि,यश वैभव की होती प्राप्ति।
सद्भावना से सत्कर्म करना,मन को मिले अपार शान्ति।
आठवांँ दिन मांँ महागौरी,सफ़ेद देवी वरदान देती।
भक्तिभाव से करना पूजा,मनोकामना सब पूर्ण करती।
नौवें दिन मांँ सिद्धिदात्री,ऐसी क्षमता उत्पन्न करती।
सभी कार्य जो हम सोचे,आसानी से सब पूर्ण करती।
नौ नवरात्रि की पूजा अर्चना,अष्टमी को हवन है करते।
सारे दुःख जटिल समस्याओं के,नवदुर्गा निवार्ण करते।
सब मिलकर मुथा करे जय जय जय, जय जयकार,
अम्बे माता की कृपा से होगा सब भक्तो का बेड़ा पार।
जय भवानी, जय जय अम्बे।
जय भवानी, जय जय अम्बे।
- कवि छगनलाल मुथा-सान्डेराव , मुम्बई