काव्य :
धनतेरस
धनतेरस की महिमा अपार,फले फूले सभी का परिवार।
धन धान्य सुख समृद्धि आए,सदा सुखी रहे सारा संसार।
बड़ी शान से बाजार है सजते,खूब होता सबका कारोबार।
भीड़ लगी है दुकानों में,जैसे खुल गए हो धन के भंडार।
टीवी फ्रिज वाशिंग मशीन खरीदे, तो कोई खरीदे स्कूटर कार।
कुछ ना कुछ नया लेना है सबको,मांँ लक्ष्मी की कृपा अपार।
अपने लिए ख़रीदो सबकुछ, कुछ अनाथों पर करना उपकार।
मन को मिलेगी खुशी और शांति, करके देखो जरूर एकबार।
सबसे बड़ी पूजा दिन-दुखियों की सेवा जीवन में लेना उतार।
सच्चे मन से वो देंगे दुआएंँ, बढ़ेगा कारोबार खुश रहे परिवार।
सोना-चांँदी सिक्के रखके, गणपति कुबेर देव की पूजा करते।
कुमकुम, कलश,फल फूल,मौली अक्षत,प्रभु चरणों में धरते।
दिया अगरबत्ती कपूर जलाकर,महालक्ष्मी की आरती करते।
सभी सुखी हो मंगलमय हो, मुथा सब मिलकर प्रार्थना करते।
- कवि छगनलाल मुथा-सान्डेराव
मुम्बई
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