डेमोग्राफिक बदलाव से निपटने की तैयारी में सरकार
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सत्य प्रकाश , दिल्ली
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केंद्र सरकार ने देश के सीमाई क्षेत्रों विशेषकर उत्तरप्रदेश, पूर्वोत्तर तथा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की सीमा से सटे गांवों को सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक रुप से मजबूत और सशक्त बनाने की एक महत्वपूर्ण, विस्तृत और महत्वकांक्षी योजना वाइब्रेंट विलेजेज प्रोग्राम तैयार की है।
सरकार की सोच है कि योजना के माध्यम से सीमाई गांवों को न केवल एक मजबूत एवं देशभक्त रक्षा पंक्ति तैयार की जाए बल्कि जनसांख्यिकी में बदलाव की चुनौती से भी निपटा जाए। इस योजना में सीमांत गाँवों में बुनियादी ढांचा, संस्कृति का संरक्षण, संवर्धन और पर्यटन को बढ़ावा देकर रोजगार को बढ़ावा दिये जाना शामिल है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि जिला कलेक्टर सीमावर्ती गाँवों में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और सेना को दूध की आपूर्ति के लिए डेयरी कोऑपरेटिव बनानी चाहिए। इसके अलावा सीमाएं कम से कम 30 किलोमीटर दायरे तक अतिक्रमण से मुक्त होनी चाहिए। सभी धार्मिक अवैध अतिक्रमण ध्वस्त किये जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि सीमावर्ती गांवों में ‘होम स्टे’ जैसी योजनाओं को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए जिससे पर्यटकों को बढावा मिले तथा स्थानीय स्तर पर रोजगार
उच्च स्तरीय सूत्रों के अनुसार वाइब्रेंट विलेजेज प्रोग्राम के अरुणाचल के सीमाई गांवों में सकारत्मक प्रभाव पडा है ओर इन गांवों में आबादी बढ़ी है। जिला कलेक्टरों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिये गये हैं कि नागरिक अपना गाँव नहीं छोड़ें और गाँव की आबादी में वृद्धि भी हो। सरकार का मानना है कि होम स्टे जैसे प्रयोगों को हर गाँव तक बढ़ाने और राज्य सरकार द्वारा बुकिंग की उचित व्यवस्था से सीमावर्ती गाँवों का एक भी घर खाली नहीं रहेगा। वाइब्रेंट विलेजेज प्रोग्राम का विचार तीन बिंदुओं पर आधारित है, जिनमें सीमांत गांवों से पलायन रोकना, सीमांत गांवों के हर नागरिक को केन्द्र एवं राज्य सरकार की योजनाओं का शत-प्रतिशत लाभ सुनिश्चित करना और चिह्नित गांवों को सीमा और देश की सुरक्षा के लिए एक स्तंभ बनाना शामिल हैं। यह योजना चरणबद्ध तरीके से लागू की जाएगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले के प्राचीर से जनसांख्यकीय असंतुलन का जिक्र करके यह जाहिर कर दिया है कि केंद्र सरकार इस मुददे पर गंभीर है और कडे कदम उठाने जा रही है। इसके संदर्भ में प्रधानमंत्री ने सीमावर्ती क्षेत्रों में घुसपैठ और अवैध प्रवास के कारण जनसांख्यिकीय असंतुलन के ख़तरों पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौती से निपटने के लिए एक उच्च-स्तरीय जनसांख्यिकी मिशन शुरू करने की घोषणा की, ताकि भारत के नागरिकों की एकता, अखंडता और अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित की जा सके। उन्होंने कहा कि सोची समझी साजिश के तहत देश की डेमोग्राफी को बदला जा रहा है। एक नए संकट के बीच बोए जा रहे हैं और यह घुसपैठिए देश के नौजवानों के रोजी-रोटी छीन रहे हैं। यह घुसपैठिए देश की बहन बेटियों को निशाना बना रहे हैं। यह बर्दाश्त नहीं होगा। यह घुसपैठिए भोले भाले आदिवासियों को भ्रमित करके उनकी जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं। इसे सहन नहीं किया जाएगा।
केंद्रीय गृह मंत्री ने सीमावर्ती जिलों के कलेक्टरों से कहा कि वे अवैध धार्मिक अतिक्रमण को हटाने की दिशा में उचित कार्रवाई करें। ये अतिक्रमण एक सुनिश्चित साजिश के तहत हो रहे हैं। उन्होंने इसके लिए गुजरात में हुई कार्रवाई की सराहना करते हुए कहा कि राज्य में समुद्री और भू सीमा से ढेर सारे अतिक्रमण हटाए गए हैं।
बीते दिनों में पश्चिम बंगाल और उत्तरप्रदेश तथा पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र के सीमाई क्षेत्रों में जनसांख्यकीय बदलाव की खबरें सामने आयी हैं जो न केवल चिंताजनक है बल्कि हैरान करने वाली भी हैं। ऐसी की सूचना है कि सीमावर्ती कई जिलों में मूल निवासी या आदिवासी समुदाय अल्पसंख्यक हो चुके हैं और कई सामाजिक सांस्कृतिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं। कश्मीर के कइ्र क्षेत्रों में आतंकवादियों के खिलाफ सुरक्षा बलों और सेना को स्थानीय जनता का सहयोग नहीं मिलना भी डेमोग्राफिक बदलाव का ही दुष्परिणाम माना जाता है।
यह योजना अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के 19 जिलों के 46 सीमावर्ती ब्लॉकों के गाँवों पर केंद्रित है। इसके तहत शुरुआती चरण में 662 गाँवों को प्राथमिकता के आधार पर विकसित किया जा रहा है।
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