अ.भा. साहित्य परिषद की शरद काव्य गोष्ठी सम्पन्न : साहित्यकार देश का चिंतक होता है ओर देशहित नैरेटिव का निर्माण करता है- शिक्षाविद श्री चन्द्रे
मंदसौर से डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट
मन्दसौर। अ.भा. साहित्य परिषद की शरद काव्य गोष्ठी शिक्षाविद् श्री रमेशचन्द्र चन्द्रे के मुख्य आतिथ्य, समाजसेवी मानमल जैन एवं कवि राजेन्द्र तिवारी के विशेष आतिथ्य तथा भजन गायक नरेन्द्रसिंह राणावत, कवि अजय डांगी, गीतकार नंदकिशोर राठौर ‘‘नादान‘‘, हास्यकवि नरेन्द्र भावसार, पर्यावरण प्रेमी श्रीमती चंदा डांगी, श्रीमती लीलादेवी जैन, सूत्रधार नरेन्द्र त्रिवेदी, गायक राजकुमार अग्रवाल, मनीष कनोदिया, मोहित प्रजापति, अंशिका सुंदरसिया, रोहित यादव, हेमराज अहिरवार की उपस्थिति में सम्पन्न हुई।
इस अवसर पर शिक्षाविद श्री चन्द्रे ने कहा कि नगर में ओर अंचल में साहित्यकारों, कवियों एवं लेखकों को एक जाजम पर लाने का कार्य अ.भा. साहित्य परिषद जिला इकाई ने किया है। परिषद द्वारा निरन्तर काव्य सृजन एवं उसका प्रकटीकरण गोष्ठियों रचना पाठ, संवाद,नव सृजन में हो रहा है ओर नए रचनाधर्मी जुड़ रहे साथ ही अच्छा लेखन प्रस्तुति करण भी कर रहे हैं।
आपने कहा कि साहित्यकार देश का चिंतक होता है जो देश हित के नैरेटिव का निर्माण करता है। सकारात्मक वातावरण निर्माण में सहायक होता है आजादी के आंदोलन में साहित्य ही सशक्त माध्यम बना संवाद और संप्रेषण का। साहित्य ही समाज का दर्पण है यह सत्य है।
इस अवसर पर अखिल भारतीय साहित्य परिषद जिला अध्यक्ष श्री नरेंद्र भावसार ने कहा कि आज जो व्यापार की स्थिति है वह ऑनलाइन खरीदी के कारण प्रभावित हो रही है हमारे देश का पैसा विदेशी कम्पनियों के पास जा रहा है और देश का व्यापारी खाली हाथ बैठा है। इसलिये वोकल फार लोकल को समझकर स्थानीय दुकानदारों से हमें खरीददारी करनी चाहिये जिससे देश का पैसा देश में रहे। इसी विषय पर आपने अपनी बात प्रवासी पक्षी कविता के माध्यम से भी प्रस्तुत की।
कार्यक्रम में श्री चन्द्रे ने बालकवि बैरागी की रचना ‘‘चटक म्हारा चम्पा आई रे ऋतु थारी सुनाई’’, कवि अजय डांगी ने ‘‘जो मिला उसका सम्मान करो, उठा लिया कदम तो आगे बढ़ो’’ कविता सुनाई। पर्यावरण प्रेमी श्रीमती चंदा डांगी ने ‘‘साझा आंगन की याद’’ कविता सुनाई। हेमासिंह ने कविता ‘‘बहुत संभलकर चली, ए जिंदगी तेरी राह पर, प्रस्तुत की। जन परिषद मंदसौर चैप्टर सचिव एवं गायक नरेन्द्र त्रिवेदी ने महेश राठौर के दोहे ‘‘तिथि पावनी प्रेम की बहकर करे समीर, भरा कटोरा रांझना खीर लगे है हीर’’ अपनी सुरीली आवाज में सुनाए। श्री नरेन्द्रसिंह राणावत ने ‘‘अंगना बरस गयो बदरवा’’ सुनाई। कवि लेखक श्री राजेन्द्र तिवारी ने ‘‘फिजाओं से कह दो वक्त अब मुनासिब नहीं है’’ सुनाई। नंदकिशोर राठौर ‘‘नादान’’ ने मालवी कविता ‘‘मतकर बोल बोल मनमानी, नानी वेइजया छानी मानी सुनाई’’।
कार्यक्रम की शुरूआत चन्द्रकला भावसार की सरस्वती वंदना से हुई, गायक राजकुमार अग्रवाल, मनीष कनोदिया ने ‘‘चांद’’ ओर शरद पूर्णिमा केंद्रित गीत और भजन प्रस्तुत कर वातावरण सुरमई कर दिया।
संचालन नरेन्द्र भावसार ने किया। आभार नंदकिशोर राठौर ‘‘नादान’’ ने माना। अंत में सभी ने अमृत युक्त खीर का सेवन कर शरद पूर्णिमा मनाई।
रामटेकरी तेलिया तालाब किनारे मुक्ताकाश मंच पर हुई शरद पूर्णिमा काव्य संगोष्ठी स्मरणीय बन गई। कवि राजेंद तिवारी का स्वागत सम्मान किया गया ।