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काव्य : भ्रम के बादल - श्रीमती प्रतिभा दिनेश कर , सरायपाली


 काव्य : 

भ्रम के बादल 


भ्रम की लहरें जब मन को घेरती हैं,

शांति की राहें दूर दूर फिरती  है।

वक्त के बादल जब छा जाते हैं,

सपनों के दीप भी बुझ जाते हैं।

भ्रमित अंतर्मन से हो रहा विचलित मन ,

भ्रम के बादल से हो रहा  अशांत मन।

मन की व्यथा का नहीं कोई मोल,

हर हँसी के पीछे होता है ,अंतर्मन में शोर।

भ्रम की लहरें मन को घेरें,

शांत हृदय भी हलचल घेरे।

पर इक किरण दिल को समझाती,

हर अंधियारा पल बीत ही जाती।

चल ए मन, अब हार न मान,

हर तूफ़ां के बाद है ,अरमान।

पर आशा की किरण फिर मुस्कुराती है,

अंधेरों के पार नई भोर लाती है।


 - श्रीमती प्रतिभा दिनेश कर 

विकासखंड सरायपाली 

जिला महासमुंद छत्तीसगढ़

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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