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काव्य : ज्ञान सुधा - नीता श्रीवास्तव श्रद्धा , भोपाल



 काव्य : 

ज्ञान सुधा 

१)

विश्व की पुण्य धरा पर बहती

हिय-तल को शीतल करती

अंतर को निर्मल करती

अविरल धारा — ज्ञान सुधा !

प्राप्त करो, शांत करो अब

व्याकुल मन की अब क्षुधा !!

२)

लहरें सम यह नदी में बहती,

सृष्टि-ज्ञान सदा प्रवहता,

सोख लो तुम इस सुधा को 

शुष्क मृदा सम सहजता  ।

बूँद-बूँद अमृत बनकर यह

ज्ञान जीवन में रस भरता,

लहरों सा अविरल बहता 

सत्य-प्रकाश सदा झरता।।

३)

परम ज्ञान व्याप्त दिशाओं में,

प्रकाश रूप हर जगह,

अमित, अमिट, अपरिमित उसकी

महिमा गूंजे सर्वदा ।

श्रवण करो उस नाद को तुम 

गूँजे  जो ब्रह्मनाद सा

मन में उतरे, शांति भरे

अमृत सुधा अविराम सा।।


 - नीता श्रीवास्तव श्रद्धा , भोपाल 





देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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