काव्य :
बेटियाँ रहें शीर्ष पर
बेटियों के उगाओ पंख
चुनने दो उसे आसमान
हौसले दो ऐ माँ उसे अब
कि भर सके वो उड़ान
तुलसी की पूजा करने दो आँगन में
और रखने भी दो चौखट के बाहर पैर
शिक्षा दो महाविद्यालयों में धरो धैर्य
बेटे से बढ़कर है ,नहीं वो कोई गैर
रसोई में रोटियों संग, पकाने दो उसे सपन
परिवार की वो है पताका,करो हर जतन
बेटियाँ रहें शीर्ष पर,वो राष्ट्र का अभिमान हों
ब्रज,समय को जीतें वे,परिवार की शान हों
- डॉ ब्रजभूषण मिश्र , भोपाल
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