दीपावली देता स्वच्छता का संदेश और मिटाता मन का क्लेश
दीपावली के आगमन से पूर्व घर- बाहर- प्रतिष्ठान सभी जगह सफाई की जाती है। अपनी सामर्थ्य के अनुसार लोग घरों में रंग रोगन करवाते हैं ,घर की सजावट की जाती है ,पर्दे बदले जाते हैं,आदि।
नई सजावट की चीजें,घर के सामान या बर्तन खरीदने के लिए लोग इसी समय का इंतजार करते हैं।
पुराने टूटे फूटे सामानों को बाहर निकाला जाता है।
वास्तव में इस सफाई के द्वारा घर की दरिद्रता, आलस्य और नकारात्मक उर्जा को बाहर निकाला जाता है। अगर कहें कि स्वच्छ घर में ही स्वच्छ मन का निवास होता है तो ग़लत नहीं होगा।
हमारे सनातन धर्म में भी यह मान्यता है कि धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी स्वच्छ और पवित्र स्थानों पर ही वास करती है। इसलिए स्वच्छता से परिपूर्ण परिवेश में दीपावली के दिन लक्ष्मी और गणेश की पूजा की जाती है, दीप जलाए जाते हैं। सुख, शांति और समृद्धि की कामना की जाती है।
दीपावली और स्वच्छता का संबंध न सिर्फ धर्म की दृष्टि से बल्कि हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से भी जुड़ा हुआ है। अस्त- व्यस्त घर और गंदगी जहां हमारे तनाव को बढ़ाता है, वहीं साफ- सुथरा और व्यवस्थित घर और वातावरण से हमारा मन शांत और एकाग्र होता है। इसलिए कहा जा सकता है कि दीपावली स्वच्छता के साथ हमारे अंदर नई उर्जा का संचार करता है। हमें मानसिक रूप से आगे बढ़ने और लक्ष्य तक पहुंचने की प्रेरणा देता है।
अब अगर विज्ञान की दृष्टि से देखें तो दीपावली का समय मानसून की समाप्ति और सर्दियों की शुरुआत का समय होता है। इस समय वातावरण की नमी से मच्छर,कीट,पतंग के पनपने का समय होता है। इन सबसे बीमारियों का प्रकोप हो सकता है। इसलिए दीपावली की साफ- सफाई से बीमारियों पर नियन्त्रण होता है।
यह कहा जा सकता है कि दीपावली पर घर में व्यापक साफ- सफाई करना केवल रीति-रिवाज ही नहीं बल्कि विज्ञान की दृष्टि से भी शारीरिक , मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक जीवनशैली है ।
सचमुच दीपावली का स्वच्छता का संदेश, हमारे मन के क्लेश दूर कर उर्जा से भर देता है । एक बात ज़रूर है कि केवल बाहर की ही स्वच्छता काफी नहीं, दीपोत्सव के इस त्योहार में स्वच्छता हमारे अन्तर्मन तक पहुंचनी चाहिए। तभी हम बुराइयों, घृणा- द्वेष से ऊपर उठकर प्रेम, सद्भाव और आत्मज्ञान से प्रकाशित हो पाएंगे।
- शेफालिका सिन्हा
रांची, झारखंड।