काव्य :
कहते आजी
कभी-कभी खुद से नाराजी।
पर होना है सबसे राज़ी।
सारी दुनिया देखी होगी।
तभी उन्हें कहते हैं आजी।
कोई भला कोई है शैतां।
भरी हुई है दुनिया हां जी।
जैसा भी हो काम चलाना।
बासी , कभी मिलेगी ताज़ी ।
सबको कैसे खुश रख सकते ।
कुछ सज्जन कुछ होंगे पाजी।
- आर एस माथुर , इंदौर
आजी/दादी
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