काव्य :
इंतज़ार एक मां का
कभी कोख में आने का ,
कभी गोद में खिलाने का ।
एक मां का इंतजार ,
कभी खत्म न होता है।
दूर गए बेटे की याद में ,
मां का दिल छुप छुप के रो लेता है ।।
कही बेटे की तरक्की में ,
व्यवधान ना बन जाऊं,
बड़ी से बड़ी बीमारी ,
मां का मन सह लेता है,।।।
लेकिन परदेस गए उस बेटे का,
इंतजार कभी खत्म नहीं होता है ।।
दम आखरी चल रहा,
सांसे उखड़ रही होती है,
एक नजर बेटे को देखने के लिए,
आंखे तरस रहीं होती हैं।
पर काल किसी का
इंतजार कहा करता है ,
मां तो मां है,
मां का इंतजार खत्म कहाँ होता है।
एक सीख
मत रोना कभी मन उदास न करना,
बेटा लाठी बनेगा
ये आस कभी न करना।
हां होते हैं बड़े भागों वाले ,
कुछ माँ बाप, जिन्हें सपूत मिलते हैं
अरे मैं तो बेटों का बाप हूं कहकर ,
कभी नाज न करना।।
- श्रीमती अंजना दिलीप दास
बसना महासमुंद ( छत्तीसगढ़)
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