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काव्य : पटाखों की धूम - श्यामा देवी गुप्ता दर्शना, भोपाल


 

काव्य : 

पटाखों की धूम

दोहे

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*लगी फिरकनी घूमने,*

   *अलबेली सी चाल,* 

*देख ठगी सी रह गई,*

  * *लड़ियों वाली माल*।।


*अलबेला त्योहार यह*,

     *झरते फूल अनार।*

*प्रीति निभाये फुलझड़ी*,

    *लाये नई बहार ।।२।।*


*टिकली बड़ी उदास थी,*

   *देख दिये की जंग ।*

*आओ हम भी मिल जलें,*

    *कर दे सबको दंग*।।3।।


*हुये विकल राकेट सब,*

    *जम न पाई धाक ।*

*पर्यावरण की आन में*,

  *खोई अपनी साख* ।।4।।


*धूम- धड़ाका सा मचा*,

     *बाल वृंद सब दंग।*

*उल्लासित हैं मगर,*

    *सजे दियों के संग ।।५।*


*तितली पूछे बम से,*

   *क्यों करता तू शोर।*

*तिमिर भारी यह रात है*,

   *जल्द सुहानी भोर।।6।।*


*झड़ते फुल अनार के*,

   *देख दीप सौगात।*

*ठुमकी सी ये फुलझड़ी*,

   *शरमाये निज गात।।7।।*


*धूम पटाखों की मची*,

 *लड़ी लगाए आस।*

*सीना ताने सब खड़े,*

   *टिकली करती हास।।8।।*


*बने अखाड़े से लगें,*

    *गली -मुहल्ले आज।*

*सभी अचंभित से खड़े*

    *हर घर इनका राज।।*


- श्यामा देवी गुप्ता दर्शना 

वरिष्ठ साहित्यकार,भोपाल

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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