काव्य :
"दोहे मुक्तक"
खुशियों के अंबार
तेल प्रेम का दीप में,जैसे हो विश्वास।
बाती श्रद्धा की जले,मन मंदिर के पास।
मां लक्ष्मी का आगमन,हो हर आंगन द्वार,
वैशाली दीपावली,से करती है आस।।
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फूल झाड़ती फुलझड़ी,रोशन हुए अनार।
फिरकी करती नृत्य है,सजा धजा घर द्वार।
शोर पटाखे कर रहे,भर मन में उल्लास,
लाई है दीपावली,खुशियों के अंबार।।
- वैशाली रस्तौगी
जकार्ता,इंडोनेशिया
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