काव्य :
उठो नौजवानों
चलो उठो ये देश के तरूणों,
बैठे रहने का समय नहीं।
मेहनत लगन और खुद्दारी से,
सजग समाज निर्माण करो।
पिता का तुमको प्रताप है बनना,
माँ का तुम अभिमान हो।
समाज में तुमको प्रतिष्ठा है रखनी
परिवार का सम्मान हो।
अपने अथक प्रयासों से ही,
तुम्हे राष्ट्र को गढ़ना है।
परेशानियों को पीछे करके,
सतत कदम बढ़ाना है।
खुली आँखों से स्वप्न बनो,
उसके लिए उसूल बनाओ।
उस पर डटे रहकर ही तुम,
मंजिल के लिए यत्न करो।
सपनो को पूरा करने का ,
जो बीड़ा तुम उठाते हो।
अपने पहले कदम पर ही,
लोगों की नाराजगी सहते हो।
गैरो की तो छोड़ों यहाँ पर,
अपने ही प्रश्न उठाते हैं।
उन प्रश्नों को ताक में रखकर
आगे कदम बढ़ाते हो।
अपने वजूद को मजबूत बनाकर,
बिना रुके ही चलते हो।
हर रात के बाद सुबह होगी,
मेहनत से गरीबी मिटेगी,
इस बात को तुम समझते हो।
पैदा हुए अगर अभाव में,
तो भी कोई न शिकवा करो।
अपने बाजू में गर दम हो,
संघर्ष सहर्ष स्वीकार करो।
कर विश्वास अपने लक्ष्य पर,
नियति का चक्रव्यूह भेदों।
सफलता जब तक ना मिले,
हिम्मत का सहचर बनो।
भरोसा अपने ध्येय पर रखके,
रास्ते पर नित श्रम करो।
मिलेगी सफलता निश्चय ही,
मेहनत का सारथी बनो।
मंज़िल जरूर मिलेगी तुमको,
गर आलस को त्याग सको।
मेरे देश के नौजवानों,
विकसित भारत का निर्माण करो।।
- श्रीमती अहिल्या नायक
सरायपाली
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