काव्य :
राष्ट्रप्रेम के गीत
जन जन के मन बसे रहें
राष्ट्र प्रेम के गीत
जीवन हो समर्पित देश पर
हो ये, सर्वश्रेष्ठ संगीत
परतंत्र देश था, याद रखें
हम जी रहे, देश में स्वतंत्र
राष्ट्र रक्षा, हर शत्रु देश से
हो जीवन का,हमारा सदैव मंत्र
जाति,धर्म,प्रांत भेद की भावना
न कभी भी हम उपजने दें
शिक्षा,स्वास्थ्य,राष्ट्र विकास की
सतत ही ,ज्योति हम जलने दें
निर्मल पर्यावरण,वन,जल,संरक्षण
हम सभी के उद्देश्य रहें
हम सभी,स्व राष्ट्र प्रेमी रहें
जन जन का कर्म, यही कहे
राष्ट्र को हमारा सम्मान है
भारत वर्ष हमारा अभिमान है
प्रेम जन जन में है व्याप्त यहां
ब्रज,जन गण मन,,राष्ट्र गान है
- डॉ ब्रजभूषण मिश्र , भोपाल
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