वीर बाल दिवस पर आयोजित गोष्ठी गुरुगोविंद सिंह जी के साहिबजादों को समर्पित रही
भोपाल ।अखिल भारतीय साहित्य परिषद भोपाल इकाई की वीर बाल दिवस पर आयोजित गोष्ठी गुरुगोविंद सिंह जी के साहिबजादों को समर्पित रही ।
कार्यक्रम में भोपाल के साहित्यकारों के बच्चों ने ओजपूर्ण रचनाओं का पाठ किया।
अखिल भारतीय साहित्य परिषद भोपाल इकाई की अध्यक्ष डाॅ नुसरत मेहदी ने अध्यक्षीय उद्बोधन देते कहा कि *वीर बाल दिवस गुरु गोविंद सिंह जी के साहिबज़ादों के अद्वितीय साहस, आस्था और राष्ट्रधर्म की स्मृति का प्रतीक है। परिषद ने आज छोटे बच्चों को देशभक्ति पूर्ण प्रस्तुतियों हेतु आमंत्रित किया है। साहित्य और काव्य के माध्यम से बाल मन में देशभक्ति और संस्कारों का संचार ही इस आयोजन का उद्देश्य है।*
अतिथि वक्ता आदरणीय ओमप्रकाश खुराना ने कहा कि-
*आज का दिन वीर बाल दिवस है यह हमें सनातन संस्कृति की रक्षा तथा अनीति के सामने कभी ना झुकने की हिम्मत देता है. औरंगजेब के समय जो भी व्यक्ति इस्लाम धर्म कबूल नहीं करता था उन्हें बहुत प्रताड़ित किया जाता था. गुरु गोविंद सिंह के बच्चों ने भी धर्म परिवर्तन करने से इनकार कर दिया तथा .जब उन्होंने किलेदार की बात नहीं मानी तो सरहंद के किलेदार नेउन्हें बहुत प्रताड़ित किया,. इस प्रसंग में औरंगजेब के कहने पर 26 दिसंबर को अजीत सिंह तथा उनके छोटे भाई जुझार सिंह जो मात्र 18 और 15 वर्ष के थे.सरहंद के किलेदार ने उन्हें दीवार में चुनवा दिया था.हम उनकी वीरता और साहस को नमन करते हैं।*
इसी क्रम में आमंत्रित वक्ता आदरणीय गोपेश बाजपेई जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि
*गुरु गोविन्द सिंह के सपूत,वीर बालक,आठ वर्षीय जोरावरऔर छह वर्ष के फतेह सिंह ने जालिम हुकूमत के अन्याय के नीचे दबने की बजाए दीवार में चुनवाया जाना स्वीकार किया ।ये दोनों ही वीर बालक अपने धर्म पर दृढ़ और निडर बने रहे ।*
परिषद की सचिव सुनीता यादव ने अपने बीज वक्तव्य में कहा कि- *अखिल भारतीय साहित्य परिषद भोपाल इकाई पिछले तीस वर्षों से दिसम्बर माह में वीर बाल दिवस गोष्ठी गुरु गोविंद सिंह के साहिबजादों जोरावर सिंह व फतह सिंह के बलिदान को स्मरण करते हुए वीर बालकों को समर्पित करती है।इस बार बच्चों द्वारा काव्य प्रस्तुति आज की पीढ़ी में देशप्रेम व त्याग के संस्कार डालने की एक पहल है।*
कार्यक्रम का सफल संचालन अपर्णा पात्रीकर ने, सरस्वती वंदना -अंशु वर्मा ने परिषद गीत श्रद्धा यादव ने प्रस्तुत किया।
बाल रचनाकारों ने देशभक्तिपूर्ण प्रस्तुति दी-
अभिज्ञा चौकसे ने -आजादी अभी अधूरी है,
दिन दूर नहीं खंडित भारत को अखंड बनाएंगे। अटल जी की कविता। अपूर्वा-विश्वकर्मा उठो जवान साथियों
सारांश धामने- उठो धरा के अमर सपूतों- द्वारिका प्रसाद जी की रचना।
अथर्व सोनी अर्थ- सबसे अच्छा सबसे प्यारा देश हमारा
यहां बहती गंगा मैया अपनी धारा।
भूवी दुबे ने - वर्षों तक वन में घूम घूम- रामधारी सिंह दिनकर की कविता प्रस्तुत की।
पीयूष यादव- मेरा देश पुकारे मुझे
श्रद्धा यादव की कविता पढ़ी
बाँधवी सोनी ने - जिस दिव्य धरा के वासी उसका नाम हिंदुस्तान ,वीर शिवाजी और महाराणा की हम संतान अपने दादा जी गोकुल सोनी की रचना का पाठ किया।
आरोही परिहार- ने मैथिलीशरण गुप्त-
शत-शत सम्राटों के स्वामी
शिवी तिवारी ने-आज जो सहानुभूति दर्शाती है।
रोमशा तिलेठे ने - रश्मिरथी से काव्य पाठ किया।
शिवि तिवारी ने गीत पढ़ा
पहले परांदा,कलीरें ही हुआ करते थे मेरी पहचान।
आज मेरे धूसर वसन को अमंगल जान, कौन मुझे देगा सम्मान?
कार्यक्रम में उपस्थित रहे
गौरीशंकर गौरीश ,जया आर्य, प्रेमचंद गुप्ता, चरणजीत सिंह कुकरेजा अनूप धामणे राजेश विश्वकर्मा,राजकुमारी चौकसे सहित अनेक साहित्यकार उपस्थित हुए।
नुसरत मेंहदी
अध्यक्ष,
अखिल भारतीय साहित्य परिषद
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