काव्य :
बर्फीली सीमा पर हमारे सैनिकों को---
वे ठिठुरन झेल रहे हैं
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इंजी. अरुण कुमार जैन
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जब हम रजाई, गददों में,
वे बर्फ से सेंक रहे हैं.
हम सूप, चाय, कॉफी संग,
वे ठिठुरन झेल रहे हैं.
वे सच्चे पूत हैं माँ के,
हमको सुख, शांति देते,
किंचित, तनिक विचारें,
हम उनको क्या हैं, देते?
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मात, पिता, बच्चों का, उनके हम ध्यान धरें नित,
वे रहें सदा मुस्काते,
इतना तो अवश्य करें हम.
हर जन,मन प्रगति करें नित,
हर मनवांछित सब पाएं,
अपने कर्तव्य पालन कर,
भारतवासी बन जाएं.
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बनें विश्व का गौरव,
इस वसुधा का हर प्राणी,
जो डटे देश सीमा पर,
रखें उनकी याद कहानी.
वे ही सपूत हैं माँ के,
अजर, अमर सेनानी.
जय हिन्द, जय, हिन्द
जय देश की सेना....
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संपर्क//अमृता हॉस्पिटल, सेक्टर 88,फ़रीदाबाद, हरियाणा.
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