रमेश दत्त सुकरात की परंपरा के सच्चे वाहक थे : रमेश दत्त दुबे स्मृति सम्मान से सम्मानित हुईं डॉक्टर लक्ष्मी पांडे
सागर। सुकरात की परंपरा का यदि सच्चा वाहक सागर में कोई है तो वह रमेश दत्त दुबे थे. जबकि आज की राजनीति व्यापार हो गई है.
उनकी कविताओं में पक्षपात नहीं है बल्कि इंसान कैसे जी रहा है उसका वर्णन है.
वे ऐसे समाज की रचना करना चाहते थे जिसमें किसी प्रकार का भेदभाव ना हो. यह बात सुप्रसिद्ध समाजवादी चिंतक रघु ठाकुर ने रविवार को संगीत महाविद्यालय सागर में श्यामलम् संस्था और दुबे परिवार द्वारा आयोजित रमेश दत्त दुबे स्मृति सम्मान समारोह में अध्यक्ष की आसंदी से कही. उन्होंने कहा कि समता को बोलना तो आसान है लेकिन उसे जीना आसान नहीं. रमेश दत्त जी मानवता के साथ जीना जानते थे इस मायने में वे सच्चे समाजवादी थे.जब तक समाजवाद की चर्चा होगी तब तक रमेश दत्त की चर्चा होगी.
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध कथाकार और समावर्तन के प्रधान संपादक मुकेश वर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा कि बुंदेलखंड की धारा अद्वितीय प्रतिभाओं की जननी रही है.हमारा दुर्भाग्य कि हम अभी तक गौर साहब को भारत रत्न नहीं दिला पाए. उन्होंने कहा कि रमेश दत्त जी उन्हें और उन जैसे लोगों को हमेशा पढ़ने के लिए प्रेरित करते रहते थे उन्होंने वाचनालय में प्रभारी रहते हुए मुझे वह मुझ जैसे न जाने कितने लोगों को बहुत सी पुस्तकों से परिचित कराया.
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ. केवल जैन ने बताया कि विश्वविद्यालय के शुरुआती दिनों में रमेश दत्त जी व उनके साथियों ने मिलकर "सांप्रदायिकता" शीर्षक से एक पत्रिका निकाली थी जो कि वर्तमान संदर्भ में अत्यधिक प्रासंगिक है उन्होंने दुबे जी के साथ अपने विश्वविद्यालय इन जीवन के रोचक प्रसंग भी साझा किए.कार्यक्रम में वरिष्ठ लेखिका डॉ.लक्ष्मी पाण्डेय को "रमेश दत्त दुबे स्मृति सम्मान 2025" से सम्मानित किया गया.उनके जीवन परिचय एवं सम्मान पत्र का वाचन डॉ.अंजना चतुर्वेदी तिवारी ने किया.
इस अवसर पर उपस्थित वरिष्ठ राजनेता पूर्व मंत्री लक्ष्मी नारायण यादव ने भी स्व. दुबे जी से जुड़े रोचक संस्मरण सुनाये.
कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों द्वारा माँ सरस्वती एवं स्व. रमेशदत्त जी के चित्र पर पुष्प अर्पण पश्चात अतिथि स्वागत से हुई.
आयोजक संस्था श्यामलम् के सचिव कपिल बैसाखिया ने कार्यक्रम परिचय व स्वागत भाषण दिया. कवि राजेंद्र सेन ने स्व. दुबे पर केंद्रित रचना का मधुर गायन किया. कार्यक्रम संचालन श्यामलम अध्यक्ष उमाकांत मिश्र ने किया तथा सागर के नागरिकों की ओर से श्री रघु ठाकुर कार्यक्रम अध्यक्ष ने स्व.दुबे परिवार का आभार माना.
इस अवसर पर श्रीमती सीमा रमेश दत्त दुबे. असीम दुबे,अभिनव दुबे, डॉ.शुभम, कबीर दुबे, एल एन चौरसिया, शुकदेव प्रसाद तिवारी, जवाहर अग्निहोत्री, हरगोविंद विश्व, डॉ.गजाधर सागर, हंसराज नामदेव, कविता शुक्ला, डॉ वंदना गुप्ता, मनोज जैन, अशफाक अहमद, असरार अहमद, टी आर त्रिपाठी, संतोष श्रीवास्तव,आशीष द्विवेदी, ममता भूरिया,राघवेंद्र नायक, बृजेश मिश्र, शांभवी शुक्ला, जस्सी सरदार, गुंजन शुक्ला, वीरेंद्र प्रधान, संतोष पाठक, हरि शुक्ला, रमाकांत मिश्रा, ऋषभ समैया, अबरार अहमद, म शरीफ, कुंदन पाराशर, पारंग शुक्ला, विनोद तिवारी, पी एन मिश्र, आर सी चौकसे, शिवरतन यादव, आर के तिवारी,पी आर मलैया,सुधीर यादव, हरिसिंह ठाकुर, मुकेश तिवारी, पुष्पेंद्र दुबे, संजू पाण्डेय, राजेश दुबे, पवन रजक, प्रभात कटारे, रमेश दुबे, पेट्रिस फुसकेले, नम्रता फुसकेले, डॉ अनिल जैन, आर. आर. पाण्डेय, नलिन जैन, इंद्राज सिंह, यू एस रावत, डॉ पंडा, अमित अठ्या, पुरुषोत्तम सेन, शिव प्रसाद सैनी, बी. डी.नामदेव,अशोक पाठक सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे.
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