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मन की बात : संवाद जो राष्ट्र को जोड़ता नहीं, गढ़ता है - प्रो. आरके जैन “अरिजीत”, बड़वानी (मप्र)


 

मन की बात : संवाद जो राष्ट्र को जोड़ता नहीं, गढ़ता है

[मन की बात — भारत की अंतःचेतना का सार्वजनिक स्वर]

[भारत को सुनाने से आगे, जोड़ने का माध्यम बनी मन की बात]


प्रो. आरके जैन “अरिजीत”


जब काल स्वयं ठहरकर किसी राष्ट्र की चेतना को परखने लगे, जब अतीत मौन गर्व के साथ वर्तमान को देखे और भविष्य आशा से भरी दृष्टि डालने लगे — तब यह संकेत होता है कि इतिहास किसी नए मोड़ पर पहुँच चुका है। वर्ष 2025 भारत के लिए ऐसा ही एक निर्णायक अध्याय बनकर उभरा। यह केवल समय का अंक नहीं, बल्कि राष्ट्रीय पुनर्जागरण का साक्ष्य है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘मन की बात’ के 129वें एपिसोड ने इस कालखंड को विचारों की औपचारिकता से निकालकर जनभावनाओं की जीवंत अभिव्यक्ति में ढाल दिया।  इस संवाद ने भारत को अपने ही स्वर से परिचित कराया और सामूहिक चेतना को नई ऊर्जा प्रदान की। विज्ञान की उपलब्धियाँ, खेलों की गौरवगाथाएँ और स्वदेशी सोच का विस्तार — इन सबने मिलकर 2025 को आत्मबोध, आत्मविश्वास और आत्मगौरव का सशक्त प्रतीक बना दिया। 

विज्ञान और अंतरिक्ष के क्षेत्र में 2025 ने भारत की उड़ान को स्वर्णिम अध्याय में बदल दिया। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला द्वारा 41 वर्षों बाद अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर कदम रखना केवल तकनीकी सफलता नहीं, बल्कि 140 करोड़ भारतीयों के सपनों का जीवंत साक्ष्य था। एक्सियम-4 मिशन के तहत 18 दिनों की यह ऐतिहासिक यात्रा भारत की तकनीकी परिपक्वता और वैश्विक विश्वसनीयता का अनुपम प्रमाण बनी। लगातार सफलताओं के इस सिलसिले ने स्पष्ट कर दिया कि भारत अब अनुसरण करने वाला नहीं, बल्कि नवाचार का पथप्रदर्शक राष्ट्र बन चुका है। इसने युवाओं में विज्ञान के प्रति जिज्ञासा, शोध और सृजन की नई चेतना को प्रज्वलित किया।

पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भी भारत ने 2025 को एक अनुकरणीय मिसाल के रूप में प्रस्तुत किया। कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीता परियोजना की सफलता ने पूरे विश्व का ध्यान आकृष्ट किया। चीतों की संख्या तीस से अधिक होना और दूसरी पीढ़ी का सुरक्षित रूप से जन्म लेना जैव विविधता संरक्षण की ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह प्रयास स्पष्ट करता है कि भारत विकास और प्रकृति के बीच संतुलन साधने की अपनी परंपरागत दृष्टि को आधुनिक नीतियों के साथ पूर्ण रूप से साकार कर रहा है। आज पर्यावरण केवल एक नीति नहीं, बल्कि जनभागीदारी और दृढ़ संकल्प का प्रतीक बन चुका है।

सांस्कृतिक चेतना और आध्यात्मिक ऊर्जा ने 2025 को विशिष्ट और अविस्मरणीय पहचान दी। महाकुंभ जैसे विराट आयोजन और राम मंदिर में ध्वजारोहण ने भारत की सनातन परंपरा को नई चेतना और उत्साह प्रदान किया। ये केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक गौरव के विराट उत्सव बनकर उभरे। प्राकृतिक आपदाओं के समय देशवासियों द्वारा दिखाई गई सेवा, संवेदना और एकजुटता ने सिद्ध कर दिया कि भारतीय समाज संकट में भी करुणा और सहयोग का दीप जलाए रखता है। संस्कृति इस वर्ष न केवल आस्था का, बल्कि मानवीय मूल्यों की सशक्त वाहक बनकर उभरी।

खेल जगत में भी 2025 भारत के लिए गौरवगाथा बन गया। पुरुष क्रिकेट टीम ने आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी जीतकर राष्ट्र को गर्व और उत्साह से भर दिया, वहीं महिला टीम ने पहली बार वनडे विश्व कप जीतकर इतिहास रच दिया। महिला ब्लाइंड टी-20 विश्व कप, एशिया कप और पैरा एथलीटों की विश्व चैंपियनशिप में प्राप्त पदकों ने यह सिद्ध किया कि प्रतिभा की सीमाएँ केवल मानसिक होती हैं, उन्हें रोका नहीं जा सकता। ये उपलब्धियाँ केवल ट्रॉफियों तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि समानता, समावेशन और आत्मविश्वास की नई परिभाषा बन गईं।

स्वदेशी भावना ने 2025 में जनमानस को नई दिशा और जाग्रत चेतना दी। ‘वोकल फॉर लोकल’ अब केवल विचार नहीं, बल्कि व्यवहार बन चुका है। दीपावली पर स्वदेशी उत्पादों की अभूतपूर्व बिक्री और विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार ने आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को और भी मजबूत किया। हर खरीदी गई स्वदेशी वस्तु देश के श्रमिक, कारीगर और उद्यमी के सम्मान से सीधे जुड़ गई। यह आर्थिक जागरूकता भारत को वैश्विक बाजार में न केवल सशक्त और आत्मनिर्भर बना रही है, बल्कि उसे प्रतिस्पर्धा की नई ऊँचाइयों पर ले जा रही है।

राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में भारत ने 2025 में अडिग संकल्प का बेहतरीन परिचय दिया। ऑपरेशन सिंदूर ने आतंकवाद के विरुद्ध भारत की स्पष्ट और कठोर नीति को देश और दुनिया के सामने मजबूती से रेखांकित किया। यह केवल सैन्य पराक्रम नहीं, बल्कि राष्ट्र की अस्मिता और सुरक्षा का सशक्त प्रतीक बन गया। वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित कार्यक्रमों ने हर नागरिक के दिल में देशभक्ति की नई ज्योति प्रज्वलित की। साथ ही, काशी–तमिल संगमम और भारतीय भाषाओं के संवर्धन के प्रयासों ने विविधता में एकता की भावना को और अधिक सशक्त किया।

युवा शक्ति ने 2025 को अपनी ऊर्जा और उत्साह से संपूर्ण वर्ष की सबसे उज्ज्वल और आश्वस्त करने वाली पहचान बना दिया। स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन में लाखों युवाओं ने शासन, कृषि, स्वास्थ्य, तकनीक और साइबर सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियों के अभिनव समाधान प्रस्तुत कर देश को गौरवान्वित किया। विज्ञान, तकनीक और सांस्कृतिक संरक्षण में युवाओं की सक्रिय भागीदारी ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत का भविष्य सक्षम और प्रेरित हाथों में सुरक्षित है। यही अविरल ऊर्जा विकसित भारत @2047 के स्वप्न को साकार करने वाली मजबूत आधारशिला बन रही है।

यदि 2025 की उपलब्धियों को एक वाक्य में समेटा जाए, तो यह वर्ष राष्ट्र की सामूहिक चेतना की गाथा बनकर सामने आता है। अंतरिक्ष में तिरंगे की प्रतिष्ठा से लेकर खेल मैदानों में विजय का उद्घोष, स्वदेशी से आत्मगौरव तक — हर मोर्चे पर भारत ने असंभव को संभव कर दिखाया। कठिनाइयाँ आईं, पर संकल्प कभी डगमगाया नहीं। एकता, अनुशासन और अटूट विश्वास ने देश को निरंतर प्रगति की ओर अग्रसर रखा और भारत की महानता का परचम हर दिशा में लहराया।

प्रधानमंत्री मोदी की ‘मन की बात’ ने इन उपलब्धियों को जन-जन के हृदय तक पहुँचाकर उन्हें प्रेरणा का जीवंत स्वरूप दिया। आज विश्व भारत को केवल आर्थिक शक्ति के रूप में नहीं, बल्कि वैज्ञानिक, सांस्कृतिक और खेल क्षेत्र में नेतृत्वकर्ता के रूप में पहचान रहा है। नवाचार, विजय और स्वदेशी की त्रिवेणी ने भारत को वैश्विक मंच पर स्थायी और अमर पहचान दिलाई है। वर्ष 2025 यह संदेश लेकर विदा हो रहा है कि जब राष्ट्र एक स्वर में संगठित होकर आगे बढ़ता है, तो कोई लक्ष्य असंभव नहीं रह जाता। अब 2026 एक नए संकल्प, नए आत्मविश्वास और और अधिक गौरवशाली भारत की ओर अग्रसर होने का आमंत्रण लेकर हमारे सामने खड़ा है।

  - प्रो. आरके जैन “अरिजीत”, बड़वानी (मप्र)

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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