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सरोकार : सिंहस्थ में संत और श्रद्धालु शिप्रा के जल में ही लगायेंगे डुबकी - डॉ. चन्दर सोनाने , उज्जैन


 

सरोकार :

सिंहस्थ में संत और श्रद्धालु शिप्रा के जल में ही लगायेंगे डुबकी

        - डॉ. चन्दर सोनाने , उज्जैन

                    और एक बार फिर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने संकल्प व्यक्त किया है कि उज्जैन में 2028 में लगने वाले सिंहस्थ में साधु-संत और श्रद्धालु शिप्रा नदी के जल में ही स्नान करेंगे। पिछली बार की तरह नर्मदा या गंभीर नदी के पानी से स्नान की नौबत नहीं आयेगी।

     मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने राज्य सरकार के दो वर्ष पूरे होने पर अपनी उपलब्धियां बताते हुए यह भी कहा कि पिछले सिंहस्थ में साधु, संतों ने कहा था कि हम पतितपावन शिप्रा नदी में स्नान के लिए उज्जैन आए थे, लेकिन इसमें शिप्रा का पानी है ही नहीं । अगर नर्मदा के पानी से ही स्नान करना था तो, ओंकारेश्वर जाकर भी किया जा सकता था। सिंहस्थ में शिप्रा जल का ही महत्व है, इसलिए राज्य सरकार इस परंपरा को दोबारा जीवंत करेगी।

     मुख्यमंत्री ने सही कहा पिछले 2004 के सिंहस्थ में गंभीर के पानी से साधु, संत और श्रद्धालुओं को स्नान करने के लिए मजबूर होना पड़ा था। इसी प्रकार 2016 के सिंहस्थ में श्रद्धालुओं को नर्मदा के पानी में स्नान करना पड़ा था। मुख्यमंत्री के संकल्प से एक बार फिर आस जगी है कि आगामी सिंहस्थ में साधु, संत ही नहीं बल्कि श्रद्धालु भी शिप्रा के जल से ही स्नान कर पुण्य प्राप्त कर सकेंगे।

    आइये, देखते है कि सिंहस्थ 2028 में शिप्रा के जल से ये स्नान कैसे संभव हो सकेगा ? मां क्षिप्रा को निरंतर प्रवाहमान बनाएं रखने लिए सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी परियोजना 614.53 करोड़ की लागत से बनाई गई है। यह परियोजना सिहंस्थ के लिए बहुत उपयोगी साबित होगी, जिसका कार्य मौके पर प्रारंभ हो चुका है। परियोजना में सेवरखेड़ी में बैराज का निर्माण कर मानसून के समय बैराज से 51 मिली घन मीटर जल को लिफ्ट (उद्वहन) कर सिलारखेड़ी जलाशय में डाला जाएगा। जिसके लिए सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी जलाशय का विस्तार टेंकनूमा आकृति में किया जा रहा है। सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी जलाशय की आकृत्ति से कोई नया डूब क्षेत्र उत्पन्न नहीं होगा। परियोजना से वर्षा के जल का उपयोग कर संपूर्ण वर्ष क्षिप्रा प्रवाहमान रहेगी। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य वर्षा ऋतु में क्षिप्रा नदी के जल को सिलारखेड़ी जलाशय में एकत्र कर पुनः आवश्यकता अनुसार क्षिप्रा नदी में प्रवाहित कर क्षिप्रा नदी को निरन्तर प्रवाहमान बनाना है। 

                   पिछले दिनों उज्जैन के संभागायुक्त श्री आशीष सिंह ने सिवरखेड़ी-सिलारखेड़ी परियोजना का निरीक्षण किया था। इस परियोजना का 60 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। सिंहस्थ 2028 को ध्यान में रखते हुए सिंहस्थ पर्व के दौरान श्रद्धालुओं के स्नान हेतु क्षिप्रा नदी का जल उपलब्ध कराना है। परियोजना पूर्ण हो जाने से क्षिप्रा नदी को स्वच्छ एवं निरन्तर प्रवाहमान किया जा सकेगा एवं उज्जैन शहर की आगामी पेयजल की मांग की पूर्ति की जा सकेगी। इस परियोजना में ग्राम सेवरखेड़ी में 1.45 मि.घ.मी. क्षमता का बैराज निर्माण कर, यहां से तीन मीटर व्यास के 6.50 कि.मी. पाइप लाइन द्वारा क्षिप्रा नदी का जल सिलारखेड़ी जलाशय में संचित किया जाएगा। इस हेतु सिलारखेड़ी जलाशय की क्षमता 51 मी.घ.मी. तक बढ़ाई जा रही है। सिलारखेड़ी जलाशय में संचित जल 1.80 मी. व्यास की 7.00 कि.मी. लंबी पाइप लाइन द्वारा पुनः क्षिप्रा नदी में ग्राम कुंवारिया के समीप आवश्यकता अनुसार छोड़ा जाएगा। 

                 उल्लेखनीय है कि क्षिप्रा के जल को स्वच्छ रखने के लिए एक अन्य खान क्लोज डक्ट परियोजना का भी काम चल रहा है। इसमें खान नदी के दूषित जल को क्लोज डक्ट परियोजना के माध्यम क्षिप्रा में मिलने से रोका जायेगा। अभी हो यह रहा है कि खान नदी का दूषित पानी क्षिप्रा नदी में त्रिवेणी पर मिल रहा है, जिससे आए दिन क्षिप्रा का जल प्रदूषित हो जाता है और श्रद्धालुओं को मजबूरन उसी में स्नान करने के लिए बाध्य होना पड़ता है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव विकास पुरूष के नाम से जाने जाते हैं। यदि उनकी इस महत्वाकांक्षी सिवरखेड़ी-सिलारखेड़ी परियोजना का काम समय पर पूरा हो जाता है तो शिप्रा के जल से ही साधु-संत और श्रद्धालु स्नान कर सकेंगे। यदि ऐसा होता है, तो मुख्यमंत्री की साधु-संतों और श्रद्धालुओं के लिए यह एक बहुत बड़ी सौगात होगी। 

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देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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