ad

उपन्यास किशनगढ़ की कविता का हुआ विमोचन


 

निस्वार्थ प्रेम की परिणति है आनंद, विश्वास और त्याग- कर्नल सिंह 

अभिधात्मक‌ शैली‌ में भी मर्मस्पर्शी कथा कही जा सकती है - लक्ष्मी पाण्डेय 

उपन्यास किशनगढ़ की कविता का हुआ विमोचन

सागर।  प्रतिष्ठित संस्था श्यामलम् के तत्वावधान में नगर के चर्चित साहित्यकार आर के तिवारी की आठवीं कृति "किशनगढ़ की कविता’' (लघु उपन्यास) का विमोचन व चर्चा का गरिमामय समारोह रविवार को गुरु पूर्णिमा के अवसर पर दीपक सभागार सिविल लाइंस में संपन्न हुआ।

इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कर्नल पंकज सिंह ने अपने प्रभावी उद्बोधन में चंद्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी उसने कहा था का उद्धरण देते हुए कहा कि आनंद, त्याग और विश्वास ही निस्वार्थ प्रेम की परिणति है। 

कार्यक्रम की अध्यक्ष विदुषी साहित्यकार डॉ लक्ष्मी पांडेय ने विमोचित उपन्यास पर अपने वक्तव्य में कहा यह उपन्यास कविता की तरह ही रोचक सरल, सहज, सरस और प्रवाहमान है। यह सिद्ध करता है कि अभिधात्मक शैली में भी मर्मस्पर्शी और पाठकों को बांधकर रखने वाली कथा कही जा सकती है। उन्होंने मुंशी प्रेमचंद के उपन्यास कफन का उल्लेख करते हुए कहा कि उसके पात्र घीसू और माधव के चरित्र पर आज भी विवाद  दिल्ली के साहित्यकारों के बीच में है।

समीक्षक एवं वरिष्ठ कथाकार डॉ (सुश्री) शरद सिंह ने  अपनी समीक्षा वक्तव्य में कहा कि  "किशनगढ़ की कविता’’ रोचक उपन्यास है।  यह एक लघु उपन्यास है अतः इसमें पात्रों की सीमित संख्या इसका प्रभावी तत्व है। कथानक के प्रस्तुतिकरण में एक सधा हुआ प्रवाह है जो पाठक को बांधे रखने में सक्षम है।

पुस्तक पर अपने समीक्षात्मक वक्तव्य में युवा समालोचक माधव चंद्र ने कहा कि आजकल जो कुछ भी लिखा जा रहा है या पढ़ा जा रहा है तब ऐसे समय में तिवारी जी की यह कृति सोचने को जरूर मजबूर करेगी कि बिना किसी सेक्चुअल फेंटेसी के भी लघु उपन्यास या उपन्यास लिखा जा सकता है।

कार्यक्रम के विशेष अतिथि शैलेंद्र तिवारी ने भी इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए उपन्यास को पठनीय बताया।

कार्यक्रम का प्रारंभ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण से हुआ। हिंदी साहित्य सृजन संघ सागर की अध्यक्ष सुनीला सराफ ने मधुर सरस्वती वंदना की। उमा कान्त मिश्र, कपिल बैसाखिया, हरि शुक्ला, कुंदन पाराशर,डॉ.विनोद तिवारी, अमित तिवारी ने अतिथियों का पुष्पहार  से स्वागत किया। श्यामलम् संस्था के सचिव कपिल बैसाखिया ने कार्यक्रम परिचय व स्वागत भाषण दिया। स्वर संगम समिति के अध्यक्ष हरि सिंह ठाकुर ने लेखक का जीवन परिचय दिया।

मंचासीन अतिथियों, श्यामलम् एवं सभागार में उपस्थित जनों द्वारा उपन्यास लेखक आर के तिवारी का शाल, श्रीफल, पुष्पहार से स्वागत- अभिनंदन किया। 

उपन्यास लेखक आर के तिवारी ने इस अवसर पर लेखकीय वक्तव्य में कहा कि मैं साहित्य सेवा के माध्यम से अपने मन के विचारों को पाठकों के मन तक पहुंचाने की कोशिश कर रहा हूं।

कार्यक्रम का व्यवस्थित और प्रभावी संचालन  प्रदीप पांडेय ने किया तथा प्राध्यापक डॉ अंजना चतुर्वेदी तिवारी ने आभार व्यक्त किया।

इस अवसर पर  डॉ संतोष सोहगरा, एल एन चौरसिया, शिव रतन यादव, डॉ आशीष द्विवेदी,अंबिका यादव, डॉ मनीष झा,डॉ विजयलक्ष्मी दुबे,निरंजना जैन,डॉ सुजाता मिश्र, ममता भूरिया, उषा बर्मन, उषा पाराशर वाजपेयी, अर्चना प्यासी, दीपाली गुरु, डॉ अनिल जैन,पी एन मिश्रा, अमित श्रीवास्तव, डॉ ऋषभ भारद्वाज, भुवनेश्वर तिवारी, नवनीत धगट,के एल तिवारी,पैट्रिस फुस्केले ,मुकेश तिवारी, सुबोध श्रीवास्तव, मुकेश सोनी रहबर,पवन रजक, सुरेन्द्र श्रीवास्तव, डॉ नलिन जैन, रमेश दुबे, ज ला राठौर, पूरन सिंह राजपूत,मनोज श्रीवास्तव, अश्विनी सागर, दीपक चौकसे, नरेंद्र प्यासी, एडवोकेट अमित तिवारी, निरंजन केशरवानी, सौरभ दुबे,प्रियंक दुबे, सोमेंद्र शुक्ला सहायक बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी व प्रबुद्धजन उपस्थित रहे।

डॉ चंचला दवे,सागर

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

Post a Comment

Previous Post Next Post