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काव्य : मुझे दुनियादारी नहीं आती -कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’,लखनऊ


 

काव्य : 

मुझे दुनियादारी नहीं आती 


अनुभव यही है कि जो व्यक्ति दूसरों

को सहारा देता है, उसे अपने स्वयं

के लिए सहारा माँगना नहीं पड़ता है,

उसे परमात्मा स्वतः सहारा देता है।


किसी प्यासे को पानी पिलाने का,

किसी गिरे हुए मरीज को उठाने का,

भूले भटके को सही राह दिखाने का,

अवसर पर इंतज़ार न करें और का।


ऐसा करने से आप बहुत सारे

ऋणों से तो मुक्त हो जाओगे,

ईश्वर सभी पर नज़र रखता है,

उसकी कृपा से सुखी हो जाओगे।


दुनिया के भ्रमजाल में मुझे

दुनियादारी नहीं आती है,

झूठ को सही करने की मुझे

कलाकारी भी नही आती है।


कैसे कहूँ कि मुझमें कोई फ़रेब नहीं,

किसी से धोखाधड़ी करनी नहीं आती,

जिसमें सिर्फ और सिर्फ़ मेरा हित हो,

मुझे ऐसी समझदारी भी नहीं आती।


इसीलिए मुझे नादान कहा किसी ने,

क्योंकि मुझे होशियारी नही आती,

बेशक लोग न समझे मेरी वफादारी

पर मुझे गद्दारी बिलकुल नहीं आती।


हमारे जीवन की समस्याओं

की वजह सिर्फ ये दो शब्द हैं,

एक जल्दी है और एक देर है,

समय से हो कार्य, न संदेह है।


हम सपने बहुत जल्दी देखते हैं,

और कर्म बहुत देरी से करते हैं,

हम भरोसा बहुत जल्दी करते हैं,

और माफ करने में देर करते हैं।


हम गुस्सा बहुत जल्दी करते हैं,

पर माफी बहुत देर से माँगते हैं,

हम शुरुआत करने में देर करते हैं

और हार बहुत जल्दी मान जाते हैं।


हम रोने में तो बहुत जल्दी करते हैं,

आदित्य हँसने में बहुत देर करते हैं,

अतः आइये हम बदलें जल्दी, जल्दी

वरना, फिर कहेंगे, बहुत देर करते हैं।


- कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’,लखनऊ

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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