सेवानिवृत्ति के बाद सेवाकाल का व्यक्तित्व और कृतित्व ही साथ रहता है - बी.ई.ओ. नरेश कुमार रावत
एफ एल एन के अंतर्गत काल विभाजन शिक्षण, विधियां एवं शिक्षण अधिगम सामग्री के उपयोग हेतु प्रशिक्षण संपन्न
निपुण विद्यालय बनाने के लिये शिक्षण प्रक्रिया को सरल सुगम रुचि पूर्ण बनाते हुए कार्य करें - उमाशंकर
ललितपुर। विकासखंड मड़ावरा के ब्लॉक संसाधन केंद्र के सभागार में खंड शिक्षाधिकारी नरेश कुमार रावत के नेतृत्व में निपुण भारत मिशन के अंतर्गत परिषदीय स्कूलों के बेसिक शिक्षकों को शिक्षक संदर्शिका के माध्यम से प्रभावी शिक्षण कार्य एवं एफ.एल.एन. के क्रियान्वयन हेतु प्रशिक्षण दिया गया। जिसके लिए एनसीईआरटी ने कक्षा 1 व 2 एवं एससीईआरटी ने कक्षा 3,4 व 5 के लिए पाठ्य पुस्तक उपलब्ध कराई हैं।
शिक्षण के लिए छात्रों में पाठ्यक्रम से संबंधित अवधारणा विकसित करने संबंधी भरपूर प्रिंटरिच सामग्री है, जिसका लाभ छात्रों को शिक्षण के दौरान दिया जा सकता है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी रणवीर सिंह के निर्देशन में संचालित चार दिवसीय प्रशिक्षण का शनिवार को जनपद के प्राथमिक शिक्षकों के एफ.एल.एन. प्रशिक्षण के पाँचवे और छटवें बैच का समापन हुआ। जिसमें ब्लॉक के कुल 100 शिक्षकों ने प्रशिक्षण पूर्ण किया। प्रशिक्षण में संदर्भदाता एआरपी राजेश कुमार शर्मा, शक्ति सिंह, सुरेश कुमार, भरतलाल चौरसिया एवं उमाशंकर नामदेव ने काल विभाजन, शिक्षण विधियां, टीएलएम एवं प्रिंट रिच सामग्री एवं उनके अनुप्रयोग के बारे विस्तृत जानकारी दी। खंड शिक्षाधिकारी नरेश कुमार रावत ने कहा की सेवानिवृत्ति के बाद सेवाकाल का व्यक्तित्व और कृतित्व ही शिक्षक के साथ रहता है, इसलिए जिम्मेदारी पूर्वक विद्यालय में सामंजस्य बनाकर शुचितापूर्ण कार्य करें। उन्होंने कहा राष्ट्रीय योग्यता परीक्षा, नवोदय विद्यालय एवं इंस्पायर अवार्ड के लिये अभिभावक को जागरूक कर अधिकतम आवेदन कराएँ, ग्रामीणों में शिक्षा के महत्व की समझ विकसित करना शिक्षक का प्रमुख दायित्व है।प्रशिक्षण समापन के अवसर पर सहायक अध्यापक विशाल जैन पवा ने कहा कि विकसित भारत बनाने में शिक्षकों की भूमिका अहम होगी। शिक्षकों का यह कर्तव्य है कि वह बच्चों की नैतिकता एवं उनके सर्वांगीण विकास पर ध्यान दें। सहायक अध्यापक आदेश पुरोहित ने कहा किसी देश के विकास में शिक्षा और सीखने के साथ-साथ अच्छे नैतिक मूल्यों पर बहुत ध्यान दिया जाना चाहिए। सहायक अध्यापक पंकज देवलिया, सौरभ रावत एवं मु. सलाम ने सुन्दर और प्रेरक काव्य पाठ किया। संदर्भदाताओं में एआरपी शक्ति सिंह ने बताया कि शिक्षण प्रक्रिया को सरल सुगम रुचि पूर्ण एवं मूर्त अमूर्त चिंतन के विकास के लिए ठोस वस्तुओं का महत्वपूर्ण स्थान है। एआरपी सुरेश कुमार ने बताया टीएलएम के माध्यम से हम बच्चों के साथ अनुभव, भाषा, चित्र और प्रतीक इन चार चरणों का अनुपालन करते हुए शिक्षण कर पाते हैं। एआरपी भरतलाल चौरसिया ने कहा उपलब्ध कराई गई शिक्षण अधिगम सामग्री की सहायता से कक्षा शिक्षण के दौरान बच्चे आनंद पूर्ण वातावरण में स्वयं करके सीखते हैं। सन्दर्भदाता उमाशंकर नामदेव ने खेले जाने वाले विभिन्न खेलों एवं मानसिक गतिविधियों का प्रदर्शन कराया। आई.सी.टी., बृज कोर्स एवं एफ.एल.एन के सन्दर्भ में विस्तृत जानकारी दी। समूह में विभिन्न शिक्षण योजनाओं का निर्माण कर उनका प्रस्तुतिकरण दिलचस्प रहा, जिसकी सदन द्वारा समालोचना की गयी। जिसमें आशीष त्रिपाठी, अंकित दुबे, राहुल लक्षकार, राहुल देव, दिलीप श्रीवास, मानसिंह एवं जुबैर आदि का सक्रिय सहयोग रहा। प्रशिक्षण में मनोज कुमार, गौरव जैन, आदेश पुरोहित, विशाल जैन, राघवेंद्र यादव, नितीश निरंजन, नरेंद्र प्रताप सिंह, रविन्द्र पटेल, नितिन कुमार, कुलदीप जैन, नरेंद्र रजक, अरमान खान, संजीव विदुआ, निशांत सोनी, प्रकाश नारायण, नितिल कुमार, नंदराम, धीरेन्द्र कुमार, बृजेश भारती, राजकुमार, अभिषेक चौरसिया, सागर गुप्ता, इंद्रा, अनामिका, भारती, रेखा, वर्षा, रिया, स्वाति जैन, निधि दुबे, सरिता, रूचि सहित एक सैकड़ा शिक्षक उपस्थित रहे। अंत में एआरपी शक्ति सिंह ने सभी का आभार व्यक्त किया।