काव्य :
अवसर
मानव जीवन मिला हमे
है आशीष हमे,ईश्वर का
सार्थक व उचित जिएं हम
फिर न मिलेगा अवसर
सक्षम और समर्थ हों जो
किया करें सहयोग,
पीड़ित की पीड़ा दूर करें
करें दूर,समाज के रोग
अवसर को ,पहचाने सब,
समय जाता है ,निकल
पछतावा करते हैं फिर,
रह जाते ,हाथों को मल
निज अभिरुचि को, जिया करें
मधुर करें, व्यवहार
करें प्रयास ,हर बार ही
कभी न मानें, हार
प्रकृति हमारी रक्षक है,
जीवन हैं पवन,थल,जल
पर्यावरण की शुद्धता,
है स्वस्थ जीवन का हल
अवसर को न खोएं कभी,
होता है ,समाधान
सफलताएं, मिल जाती हैं
होता नहीं है, व्यवधान
*ब्रज*,अवसर को पहचानिए
रखें सदा ही धीर
परबत से ऊंची भी हो,
मिट जाती ,सब पीर
- डॉ ब्रजभूषण मिश्र ,भोपाल
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