प्रभात साहित्य परिषद ,भोपाल की काव्य - गोष्ठी संपन्न
भोपाल/ राजधानी की चर्चित संस्था प्रभाव साहित्य परिषद द्वारा *हास्य व्यंग्य* पर काव्य गोष्ठी का आयोजन हिंदी भवन के नरेश मेहता कक्ष में श्री महेश प्रसाद सिंह की अध्यक्षता में एवं श्री बलराम गुमास्ता के मुख्य आतिथ्य में तथा श्री उमेश तिवारी "आरोही" के विशेष आतिथ्य में एवं श्री हरि ओम श्रीवास्तव के संचालन में किया गया।
इस अवसर पर पिछली काव्य गोष्ठी की सर्वश्रेष्ठ रचना के लिए श्री कमल सिंह "कमल" को सरस्वती प्रभा सम्मान से अलंकृत किया गया। तद उपरांत सुरेश पबरा आकाश ने पढ़ा, संसद से तो आस बहुत है। संसद में बकवास बहुत है। वही हीरालाल पारस ने पढ़, बरसों बरस संग साथ खेली होली। इस बरस किसी और की हो ली। वही रमेश नन्द ने पढ़ा, उनका चरित्र दूध धुला है, पर क्या करें दूध में पानी मिला है। वही मदन तन्हाई ने पढ़ा, इशारे करके तू काहे अभी हँसके बुला रई थी। मगर कल तो मुझी को तू बड़ा गुस्सा दिखा रई थी। वही बलराम गुमास्ता ने पढ़ा, शादी की चालीसवी साल गिरह में आज भी खोज रही हूँ उस मामा को जिसने तय कराई थी मेरी शादी। वही उमेश तिवारी "आरोही" ने पढ़ा, क्या अजीब बात है गौर तो फरमाइये। झूठी प्रतिष्ठा के लिए अपनों से आँख चुराइये। वही महेश प्रसाद सिंह ने पढ़ा, मोटू की चर्बी घटे छोटू के उड़े बाल, बहुमत चाहे किसी का हो गले हमारी दाल। वही हरि ओम श्रीवास्तव ने पढ़ा, थप्पड़ जैसा है नहीं कोई भी हथियार। पलक झपकते लक्ष्य पर करता है वह बार। वही तेज सिंह ठाकुर ने पढ़ा, पत्नी ऐसी दीजिये जो न पति को खाय। पति कमरे में रह सके पत्नी भी न जाय। इनके साथ संजय आरजू, एस एन शर्मा, प्रदीप कश्यप, डॉ. सीमा अग्रवाल, एम ए मोखेरे , आशीष पांडेय, संजय सोनटके आदि ने भाग लिया। अंत में रमेश नन्द ने सभी का आभार व्यक्त किया।
प्रेषक रमेश नन्द
संस्थापक , प्र. सा. परी. , भोपाल