जीवन को सुखद और सार्थक बनाती है गीता : बुल्गारिया के बिजनेसमैन और सनातन प्रेमी फ्रांसिस ने बताया जीवन में गीता का महत्व
*--- आईकॉम सेंटर पर प्रबुद्धजनों ने किया विक्टर और उनकी बहन डेनिएला का अभिनंदन*
*ग्वालियर* । श्रीमद्भगवद्गीता हिंदू धर्म के प्रमुख ग्रंथों में से एक है। यह न केवल धर्म का उपदेश देती है, बल्कि यह जीवन के हर पहलू का मार्गदर्शन करती है और जीने की कला भी सिखाती है। गीता से मानसिक शांति मिलती है और परेशानियों से मुक्ति। गीता का ज्ञान जीवन में लागू करने से इंसान सफल हो जाता है। क्योंकि जीवन को सुखद और सार्थक बनाती है गीता। कल्पतरू फाउंडेशन बुल्गारिया के डायरेक्टर और बिजनेसमैन विक्टर फ्रांसिस ने यह बात कही।
उन्होंने यह बात इंटरनेशनल सेंटर ऑफ मीडिया एक्सीलेंस (आईकॉम) पर भाईदूज पर आयोजित नागरिक अभिनंदन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि के कही।
सनातन धर्म को आत्मसात करने वाले विक्टर ने भारतीय धर्म, संस्कृति और सभ्यता की जमकर प्रशंसा करते हुए कहा कि यहां के लोग अच्छे हैं। परोपकारी हैं, दयालु हैं और लोगों की मदद करने वाले हैं। मैं भगवान श्रीकृष्ण को अपना आराध्य मानता हूं और गीता का पाठ करता हूं। मैंने अनेक भारतीय धर्म ग्रंथों का अपने देश में अनुवाद कर वहां के नागरिकों को उन्हें पढ़ने के लिए प्रेरित किया है। क्योंकि भारतीय सनातन संस्कृति, धर्म और पंरपरा जीवन को दिशा देने वाली है।
इंटरनेशनल अलायंस एंड कम्युनिकेशंस कल्पतरू फाउंडेशन की प्रमुख डेनिएला सेवेरिनेवा (विक्टर की बहन) ने कहा कि गीता में परमात्मा, आत्मा और सृष्टि विधान के ज्ञान का उल्लेख है। गीता के अनुसार इंसान को हार-जीत की भावनाओं और भविष्य के डर से मुक्त होकर अपने दैनिक जीवन को सुख से जीना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण और हिंदू धर्म को सुना और पढ़ा ही नहीं हैं बल्कि वह हमारी आत्मा में बस गया है। यही जीवन को श्रेष्ठ बनाता है।
इस दौरान सेंटर डायरेक्टर डॉ. केशव पाण्डेय ने अध्यक्षीय उद्बोधन के बाद विक्टर और डेनिएला का नागरिक अभिनंदन कर उन्हें शॉल,श्रीफल और स्मृति चिंह भेंट किए। इस दौरान शहर के प्रबुद्धजनों से उनसे कला, संस्कृति, सभ्यता, सनातन और धर्म पर सवाल-जवाब किए। जिनका दोनों भाई-बहनों से शानदार अंदाज में जवाब दिया।
कार्यक्रम का संचालन पंडित रामबाबू कटारे ने तथा आभार व्यक्त सीके शर्मा ने किया। इस दौरान एमडी पाराशर, सुरेंद्र सिंह कुशवाह, विजय पाराशर, प्रकाश नारायण शर्मा, प्रकाश मिश्र, शशि मिश्र, पीडी पाण्डेय, कल्पना पाण्डेय, राजेंद्र सिंह, आलोक द्विवेदी, विजय पाण्डेय, भूपेंद्र कांत, दिनमणि शर्मा, हेमराज शर्मा, जगदीश गुप्त महामना, मनोज ि़त्रपाठी, संतोष वशिष्ठ एवं राजेंद्र मुदगल ने स्वागत किया।
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प्रेषक
मुकेश तिवारी
वरिष्ठ पत्रकार ग्वालियर