काव्य :
रंग बिरंगी होली आई
रंग बिरंगी होली आई,
बरसे रंग गुलाल।
बैर भाव की जला के होली
छोड़े सभी मलाल।।
टेसू खिल -खिल हमें लुभाए,
सरसों प्रीत निभाए।
अंतर्मन में प्रीत जगा कर,
हम भी रीत निभाए।।
मन की गागर भर ले साजन,
करदें आज निहाल।
रंग -,बिरंगी होली आई,
बरसे रंग गुलाल।।
रंग बिरंगे रंगों की ये
सौगाते अलबेली।
सभी रंग यह हमसे कहते,
झूमों संग सहेली।।
मतवाला मनुआ माने ना,
जाने प्रीति के हाल।।
रंग -बिरंगी होली आई,
बरसे रंग गुलाल।।
न करना जी आनाकानी,
वर्ष बाद यह आती।
बिन रंगों के जीवन कैसा,
मुस्कानें यह लाती।।
हर्षित तन-मन नाचें-गाये
देखें सभी धमाल।
रंग -बिरंगी होली आई,
बरसे रंग गुलाल।
- श्रीमती श्यामा देवी गुप्ता दर्शना भोपाल मध्यप्रदेश
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