'फुरसत में' साहित्यिक समूह ने महिला दिवस पर काव्य गोष्ठी आयोजित की
महिला दिवस --विजय का संकल्प
जमशेदपुर जैसे विभिन्न भाषा भाषियों,संस्कृतियों एवं ,परम्पराओं के शहर में महिलाओं की भागीदारी घर परिवार -शिक्षा से लेकर प्रशासन तक है। यहाँ वरिष्ठ महिला साहित्यकारों की संस्था फुरसत में*ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया ।हमारे शहर में महिलाओं के द्वारा ही संचालित साहित्यिक संस्था ने ''कवयित्री सम्मेलन का आयोजन किया जिसमे लगभग सारी कवितायेँ ,नारी विमर्श 'पर केन्द्रित थीं ।उनकी पीड़ा, विवशता ,और संघर्ष की कहानियां सबको भावुक बनाती रहीं । मन में एक संकल्प भी पला कि हम हारेंगे नहीं अपनी लड़ाई जीत कर रहेंगे।' आनंद्बाला शर्मा ने प्रथम प्रविष्टि के.रुप में काव्य पाठ किया"मैं औरत हूँ
स्लेट में लिखी इबारत की तरह
धुल पुछ जाने के बाद भी उभर जाती हूँ मोतियों के दानों की तरह,गुथ जाती हूँ माला में
हार कर भी जीत जाती हूँ।
मैं औरत हूँ।
पद्मा मिश्रा, ने अपनी कविता पढी'-*जिंदगी के --
ऊँचे-नीचे रास्तों पर ,
वह पत्नी,प्रिया,बहन,बेटी -
कितने रूपों में जीती है -एक साथ ,
स्वयं -सिद्धा बन कर* ।इस काव्य शृंखला की अगली कड़ी के रुप में -छाया प्रसाद,-ने अपनी रचना पढी-मैं धैर्यवान, सहनशील हूँ।
पृथ्वी सी सख्त,कठोर हूँ।मैं नारी हूँ।
मैं घर,अंगना की लक्ष्मी हूँ।
रणभूमि में लक्ष्मी बाई हूँ।मैं नारी हूँ।
मैं गंगा, जमुना, सरस्वती हूँ।
मैं मान,सम्मान की अधिकारी हूँ।
वहीं वीणा पाण्डेय भारती का कहना था"बढ़ते कदमों को
जंजीरों में बांधना,नही चाहती हूँ मैं
दायरों में सिमटी जिन्दगी,अब नही चाहती हूँ मैं.।अपनी शानदार प्रस्तुति के साथ आरती श्रीवास्तव ने काव्य पाठ किया-हार जीत हैं सबके साथी
जान क्षेत्र में वह उतरे।
बोध उसे अब निज गौरव का
लक्ष्य साधना स्वयं करे।
मीनाक्षी कर्ण की कविता- न हीं अबला दीन -हीन
नहीं शक्तिविहीन
अंतर्मन की पावनता से
करो ज़गत का कल्याण,
नारी तुम हो महान।।
सुष्मिता मिश्र,, मनीला कुमारी ने अपनी रचनाओं के माध्यम से नारी के प्रति समाज को जागरूक रहने और प्रतिष्ठित करने की बात की।अगली प्रस्तुति अनीता निधि की थी -मैं सुनीता, कल्पना मैं ही लता हूँ
मुझसे ही दुनिया शोभती है
मान मर्दन न करो नारी का
दो उन्हें उनका सम्मान
वरना घर, परिवार, राष्ट्र की मिटेगी पहचान।
अतिथियों का स्वागत रेणुबाला मिश्र ने किया और विषय प्रवेश सरित किशोरी श्रीवास्तव ने कराते हुए कहा-कि नारी जीवन मदी के दो किनारों की तरह है एक ससुराल और एक मायका।अध्यक्षता की संस्था की.संस्थापिका आनंद बाला शर्मा ने तथा मंच सञ्चालन वर्तमान अध्यक्ष पद्मा मिश्रा ने धन्यवाद ज्ञापन मनीला कुमारी ने किया। ।यही तो नारी शक्ति की पहचान है परस्पर सहभागिता और महिलाओं के प्रति सम्मान ने इस दिन को यादगार बना दिया, इस शहर में दोनों के कदम साथ साथ चलते हैं ।