फुरसत में संस्था ने पृथ्वी दिवस पर काव्य गोष्ठी की
जमशेदपुर । साहित्यिक संस्था "फुरसत में",के द्वारा विश्व पृथ्वी दिवस पर आनलाइन काव्य गोष्ठी आयोजित की गई जिसमें सभी सदस्यों ने भाग लिया।पृथ्वी पर बढते जा रहे प्रदूषण और उसे स्वच्छ बनाए रखने के प्रयासो पर भी परिचर्चा हुई। मंच संचालन करते.हुए पद्मा मिश्र ने अपनी प्रथम प्रस्तुति दी--यही कल्पना मन की मेरी ,कब सुरमयी सवेरा होगा
आशाओं के पुष्प खिलेंगे क्षिति के पार बसेरा होगा।
क्षिति जल पावक ज्ञान वारि से सिंचित जग का आंगन होगा।हिंसा,घृणा पराजित होगी,
मधु बरसाता सावन होगा।
तत्पश्चात रेणुबाला मिश्रा ने काव्य पाठ किया,धरा से लेकर अंबर तकप्रेम-प्रीति का शंखनाद ,गंगा-से पावन हो जाएं
पृथ्वी वासी तन-मन के साथ।-मथुरा से इंदिरा पाण्डेय की रचना ने सभी का ध्यान आकृष्ट किया,,
बड़ी-बड़ी बातों से नहीं बचेगी धरती,
वह बचेगी छोटी-छोटी कोशिशों से,
हम नहीं फेंकें कचरा इधर-उधर,
स्वच्छ रहेगी धरती,
आओ, धरती बचाएँ। वृक्ष लगाएं। कार्यक्रम की अगली प्रस्तुति पुणे से शामिल किरण सिन्हा की थी ,धन्य धन्य,धन्य है हमारी वसुंधरा
वसुंधरा की गोद में ,पले बढ़े, बड़े हुए
मां सी प्यारी है हमारी वसुंधरा ,चाह है दिल की यही, रहे सदा।इस काव्य धारा को आगे बढाते हुए अगली रचना अनीता निधि की पढी गई और सराही गई।
धीर धरा के अंक में, सुरभित है संसार।करें संरक्षण हम इसे, कुदरत के उपहार।। धीर धरा के अंक में, पलते हम संतान। धरती हमारी मां है, इसको तू पहचान।। गंभीर लेखन की कवयित्री आनंद बाला शर्मा की रचना को सबका स्नेह मिला।,निर्मल आकाश हो
हो हरी भरी वसुंधरा,
वायु जल सर्वत्र हो,पवित्र हो वातावरण। अंतिम रचना छाया प्रसाद के द्वारा प्रस्तुत की गई ,, तूने रचा ऐसा ब्रम्हांड ,ईश्वर मेरे लिऐ।,रहने को धरती दी ,नक्षत्रों से भरा आकाश। सभी सदस्यों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को सफल बनाया।
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