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सुनीता केसवानी का काव्य संग्रह “उड़ान” लोकार्पित


सुनीता केसवानी का काव्य संग्रह “उड़ान” लोकार्पित 

साहित्य सृजन अनुभूतियों से होता है। कविता वही है जो लोगों के मन को छू ले।
                विजयदत्त श्रीधर अध्यक्ष 
______________________________आज के मशीनी युग में लोग बौद्धिक विकास के साथ भावनात्मक विकास की बात भूल गए हैं। साहित्य भावनात्मक विकास हेतु परम आवश्यक है।  
            गोकुल सोनी मुख्य अतिथि 
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भोपाल । दुष्यंत संग्रहालय में सुनीता केसवानी का काव्य संग्रह “उड़ान” श्री विजय दत्त श्रीधर की अध्यक्षता, श्री गोकुल सोनी के मुख्य आतिथ्य और श्री सुरेश पटवा के सारस्वत आतिथ्य में लोकार्पित हुआ। 

अध्यक्ष श्री विजय दत्त श्रीधर ने कहा कि सुनीता केसवानी की कविताओं के विषय दैनिक जीवन से उपजते हैं। कविताओं के शीर्षक पर दृष्टिपात करने से ही उनकी व्यापकता और विविधता का दिग्दर्शन हो जाता है। साहित्य सृजन अनुभूतियों से होता है। कविता वही है जो व्यक्ति के मन को छू ले। सुनीता जी की कविताओं में वह विशेषता है।

मुख्य अतिथि गोकुल सोनी ने कहा कि साहित्य मनुष्य का भावनात्मक विकास करता है। मनुष्य को संवेदनशील बनाता है। मशीनीकरण के इस दौर में लोग बच्चों के आई क्यू की बहुत चिंता करते हैं उनके बुद्धिमत्ता सूचकांक को बढ़ाकर उसे नोट कमाने की मशीन बनाना चाहते हैं परंतु वे ई क्यू अर्थात भावनात्मक सूचकांक बढ़ाकर उसे संवेदनशील बनाना भूल जाते हैं। इसीलिए अपराधों का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। साहित्य ही इस स्थिति से उबार सकता है। 
सुनीता केसवानी की कविताओं में वह संवेदना का तत्व मौजूद है।

सारस्वत अतिथि सुरेश पटवा ने साहित्यिक रचनाधर्मिता को आकारहीन-रंगहीन चेतना में इंद्रधनुषीय रंग भरने का प्रयास बताया। सुनीता जिसमें सफल रहीं हैं। मुक्त छंद में लिखी इनकी कविताएँ सकारात्मक दृष्टिकोण लिए हुए हैं।

विवेक रंजन श्रीवास्तव ने समीक्षा प्रस्तुत करते हुए कहा कि सुनीता केशवानी का प्रथम काव्य संग्रह *उड़ान* हिंदी कविता के क्षेत्र में उनका एक संवेदनशील और विचारोत्तेजक प्रयास है। सुनीता केशवानी की कविताएँ भावनात्मक गहराई और संवेदनशीलता से ओतप्रोत हैं। संग्रह की भाषा सरल, सहज और प्रवाहमयी है। 

कवियत्री सुनीता केसवानी ने अपनी रचनाशीला पर प्रकाश डालते हुए चुनिंदा कविताओं का पाठ भी किया। संचालन श्री घनश्याम मैथिल, स्वागत उद्बोधन श्री मनीष समंदर और आभार प्रदर्शन श्री रौनक केसवानी ने किया।

गोकुल सोनी, सुरेश पटवा
देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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