तीर्थंकर महावीर की शिक्षाएं कभी आऊट डेटेड नहीं होंगी - डॉ (सुश्री) शरद सिंह
सागर । जैन बैंकर्स फोरम सागर द्वारा महावीर जयंती पर आयोजित विचार गोष्ठी में बोलते हुए मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार एवं जैन दर्शन की ज्ञाता डॉ (सुश्री) शरद सिंह ने कहा कि तीर्थंकर महावीर की शिक्षाएं हर युग में प्रासंगिक रही हैं और हमेशा रहेंगी। ये कभी आऊट डेटेड नहीं होंगी और न इसकी कोई एक्सपायरी डेट है क्योंकि यह शिक्षाएं सकल मानव समाज के लिए उपयोगी है। ये मानवतावादी शिक्षाएं हैं। यदि जैन धर्म के अनेकांतवाद को जीवन में उतार लिया जाए तो सारे विवाद, वैमनस्य एवं टकराव समाप्त हो सकते हैं क्योंकि अनेकांतवाद सभी धर्मों का सम्मान करने की शिक्षा देता है, यह कट्टरतावाद का खंडन करता है। अनेकांतवाद बताता है कि हर तथ्य के अनेक पक्ष होते हैं, सभी पक्षों को जाने बिना किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचना चाहिए। तीर्थंकर महावीर की शिक्षाएं सत्य, अहिंसा का पालन करते हुए सही ढंग से जीना जीवन जीना सिखाती हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता हिंदी विद्वान डॉ लक्ष्मी पांडेय ने की । सागर विश्व विद्यालय में संस्कृत के प्राध्यापक डॉ शशि कुमार सिंह, साहित्यकार टीकाराम त्रिपाठी और प्रोफेसर अशोक जैन ने अनेक जैन सिद्धांतों को पौराणिक एवं आधुनिक कसौटी पर कसते हुए आज भी प्रासंगिक ठहराया। प्रगतिशील लेखक पी आर मलैया ने महावीर की शिक्षाओं की वैज्ञानिक व्याख्या की । गोष्ठी का संचालन और आभार प्रदर्शन वीरेंद्र प्रधान ने किया।
इस अवसर पर प्रदीप जैन, अरविंद जैन, शांति कुमार जैन, अनिकेत जैन, राज कुमार जैन, एल सी जैन, सुशील श्रीवास्तव इत्यादि बैंकर्स के साथ साथ राज कुमार तिवारी, नलिन जैन, मुकेश तिवारी, डॉ गजाधर सागर, डॉ श्याम मनोहर सीरोठिया,पेट्रिस फुसकेले सहित अनेक साहित्यकार, पूर्व पुलिस उप अधीक्षक श्रेयांश सेठ, इंजीनियर सुमत जैन, इंजीनियर राकेश जैन, निशिकांत सिंघई, यू सी जैन, विनोद जैन (LIC), जिनेश जैन बहरोल, डॉ एम के जैन, डॉ शिखर चंद जैन सहित बड़ी संख्या में लोगों की उपस्थिति रही ।
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