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साहित्यकारों ने तिरंगा यात्रा यात्रा निकाल साहित्यकार पार्क में कवि गोष्ठी आयोजित की


 साहित्यकारों ने तिरंगा यात्रा यात्रा निकाल साहित्यकार पार्क में कवि गोष्ठी आयोजित की

 भोपाल । नगर की सभी साहित्यिक संस्थाओं ने मिलकर ऑपरेशन सिन्दूर की सफलता के उपलक्ष्य में प्लेटिनम प्लाज़ा से साहित्यकार पार्क तक एक तिरंगा रैली निकाली। जिसमें साहित्यकार बड़ी संख्या में उपस्थित हुए। तिरंगा यात्रा नियत समय साढ़े चार बजे आरंभ होकर पाँच बजे साहत्यीकार पार्क पहुँची। 

डॉक्टर गौरी शंकर शर्मा गौरीश की अध्यक्षता, रामराव वामनकर के मुख्य आतिथ्य, डॉक्टर नुसरत मेहदी के सारस्वत आतिथ्य, विष्णु राजोरिया और डॉक्टर मुहम्मद आज़म के विशिष्ट आतिथ्य में कवि सम्मेलन संपन्न हुआ। 


मुहम्मद आज़म ने

 “मेरे खून से ही सही सब्ज़ चमन हो जाए,  

सारी दुनिया से हँसी मेरा वतन ही जाए” 

बात मरने के भी तक़दीर पर इतराऊँ मैं, 

एक तिरंगा अगर अपना भी कफ़न हो जाए” 


नुसरत मेहदी ने 

“सरहदों पर हैं जिनकी निगहबानियाँ, 

भूल सकते नहीं जिनकी कुर्बानियां,

उन शहीदों की पुर अज़्म बा हौसला, 

हिम्मतों वाली माएं तेरे साथ हैं।”


गौरी शंकर शर्मा गौरीश ने

“जागो जागो देश के लोगो अक्स बनाओ सिंदूरी” रचना सुनाई। विष्णु राजोरिया ने कहा राष्ट्रीय भावना से ओतप्रेत कविताएँ साहित्यकारों में भरी हैं। मन प्रफुल्लित हो जाता है। 


रामाराव वामनकर ने 

“आग लिख पानी लिख देश हित ज़िंदगानी लिख,

हिंदू मुस्लिम सिक्ख ईसाई सब को हिंदुस्तानी लिख। 


सुरेश पटवा ने 

हिंदू सिक्ख मुस्लिम ईसाई माला एक,

रिश्ते में हम बाप तेरे खड़ पाकिस्तान। 


वेद से  वेदान्त तक  तेरा भी  अतीत,

ले हनुमान अष्टक  तू पढ़ पाकिस्तान। 


गोकुल सोनी ने 

“मेरे प्यारे वीर सैनिकों सेनायें तैयार करो, 

कपटी शत्रु खड़ा सीमा पर आगे बढ़ कर वार करो”


राजेंद्र गट्टानी ने 

रखे रामसिंह और गुरबिंदर, पीटर और रहमान रखें,

भले जाति, भाषा, भूषा से ही अपनी पहचान रखें। 


विवेक रंजन श्रीवास्तव ने 

सीमा पर जब संकट आया सेना ने दुश्मन ललकारा,

पाक को मटियामेट किया है झण्डा ऊँचा हुआ हमारा।


सीमा हरि शर्मा ने 

लहू बिखरा हमारा है यहाँ पर भी वहाँ पर भी 

किसी के बाप का सुन लो ये पाकिस्तान थोड़ी है। 


सीमा शिवहरे ने 

“गद्दार सब छिपे हुए, दहशत में आ गए,

जब से जवान देश के हरकत में आ गए।

सरहद  पे  सैनिकों  ने बहाया  लहू  'सुमन'

कुर्वानियों  से मुल्क  हिफ़ाज़त  में आ  गए।”

लेखक संघ के अध्यक्ष राजेंद्र गट्टानी, कला मंदिर के कार्यकारी अध्यक्ष हरिवल्लभ शर्मा, उपाध्यक्ष सुरेश पटवा, अशोक धमेनिया, सुरेश पबरा, शमीम मजहर, मनीष बादल, गोकुल सोनी, वीरेंद्र श्रीवास्तव, सीमा शिवहरे, दिनेश मालवीय, अज़ीम अज़हर, अशोक गौतम घायल, सीमा हरि शर्मा, विवेक रंजन श्रीवास्तव, आबिद काज़मी, राज कुमारी चौकसे, अंशु वर्मा, सविता बांगड़े, रेणु श्रीवास्तव, प्रियंका श्रीवास्तव, पुरुषोत्तम तिवारी इत्यादि ने जोश ख़ोश से भरी राष्ट्र प्रेम की कविताएँ और ग़ज़ल पढ़ीं। 

राष्ट्रीय कवि धर्मेंद्र सोलंकी ने कवि गोष्ठी का सरस संचालन किया। सभी उपस्थित साहित्यकारों का आभार कार्यकारी अध्यक्ष हरिवल्लभ शर्मा ने व्यक्त किया।

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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